दिल्ली के दंगल में बीजेपी दांव तो खूब लगा रही है, लेकिन खुद अपने ही घर में घिरती भी नजर आ रही है. नेताओं के बीच तालमेल की कमी का सीधा असर प्रचार अभियान पर पड़ रहा है. चाहे प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल हों या सीएम पद के उम्मीदवार हर्षवर्धन या फिर मौजूदा सीएम के खिलाफ चुनाव लड़ रहे विजेंद्र गुप्ता. सभी का अपना-अपना प्रचार अभियान चल रहा है.
दिल्ली बीजेपी में नेताओं की आपसी खींचतान से पार्टी के बड़े नेताओं की फिक्र बढ़ गई है, इसीलिए अब कोशिश सारे नेताओं को एक मंच पर दिखाने की हो रही है. दिल्ली बीजेपी में भले ही सतह पर नेताओं के बीच झगड़ा न नजर आ रहा हो, लेकिन बयानों को लेकर विरोधाभास और अपने-अपने प्रचार अभियान में आपसी खींचतान साफ नजर आ रही है. क्योंकि सीएम उम्मीदवार डॉ हर्षवर्धन वॉर रूम में बैठकर लड़ाई लड़ रहे हैं और विजय गोयल अपनी पदयात्रा शुरू कर चुके हैं. हालांकि इस सवाल के सीधे जवाब से नेता बचते नजर आ रहे हैं.
दिल्ली प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष विजय गोयल का कहना है, ‘एक इधर जाएगा, एक उधर जाएगा, एक किधर जाएगा, तभी तो पूरी दिल्ली में चुनाव प्रचार हो पाएगा. एक साथ आ जाएंगे, तो पूरी दिल्ली में कैसे जाएंगे.’
दिल्ली बीजेपी के नेताओं की एक बैठक में तालमेल की कमी का मुद्दा भी उठ चुका है. अभी तक पार्टी ने चुनाव प्रचार अभियान समिति भी नहीं बनाई है, जो पूरी दिल्ली में प्रचार के लिए नेताओं के बीच तालमेल बैठाए. इसके अलावा स्टार कैंपेनर्स के साथ भी दिल्ली के नेताओं की सभाओं को लेकर कोई रणनीति नहीं बनी है. लेकिन सीएम उम्मीदवार की नजर में सब कुछ ठीक है.
डॉ हर्षवर्धन कहते हैं, ‘सब एक साथ जाएंगे, तो आपको तकलीफ होगी कि सब एक साथ घूम रहे हैं, कोई तालमेल की कमी नहीं है सब एक साथ हैं और पार्टी के लिए काम कर रहे हैं.’ आलाकमान के डर से नेता खुलकर तो कुछ नहीं बोल रहे, लेकिन जोर इसी बात पर है कि दिल्ली की राजनीति में हम किसी से कम नहीं.
आलाकमान को फिक्र इस बात की है कि दिल्ली में बीजेपी 15 साल से सत्ता से बाहर है और नेता आपस के हिसाब-किताब में लगे हैं. ऐसे में डर ये भी सता रहा है कि आपसी खींचतान में कहीं पार्टी की चुनावी नैया फिर से न डूब जाए.