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उपराज्यपाल ने दिखाई 'बॉसगिरी', मंगवाई केजरीवाल सरकार से फाइलें

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने पिछले डेढ़ साल में कई फैसले लिए हैं. इन फैसलों में कई तरह की नियुक्तियां भी शामिल हैं, जो बिना उपराज्यपाल की अनुमति के दिल्ली सरकार में की गईं हैं.

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नजीब जंग
नजीब जंग

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दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और दिल्ली सरकार के बीच के विवाद पर हाई कोर्ट के फैसले का असर दिखना शुरु हो गया है. उपराज्यपाल सचिवालय ने दिल्ली सरकार से वो सभी फाइलें मंगवा ली हैं, जिन पर पिछले डेढ़ साल में फैसला लिया गया है. इनमें से कई फैसले ऐसे हैं, जिन पर उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी जरुरी थी, लेकिन सरकार ने विवाद के चलते वो फाइल उपराज्यपाल के पास भेजनी जरूरी नहीं समझीं. इसका मतलब साफ है कि दिल्ली सरकार के कई फैसलों का अब एलजी समीक्षा कर सकते हैं.

किन फैसलों पर लटक सकती है तलवार
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने पिछले डेढ़ साल में कई फैसले लिए हैं. इन फैसलों में कई तरह की नियुक्तियां भी शामिल हैं, जो बिना उपराज्यपाल की अनुमति के दिल्ली सरकार में की गईं हैं. दिल्ली के प्रशासन में सेवा विभाग पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की उम्मीद है, क्योंकि ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर ही विवाद सबसे ज्यादा रहे हैं. कई अहम पदों पर मसलन सचिवों के पद पर गैर प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति भी शामिल हैं. उदाहरण के तौर पर पीडब्ल्यूडी विभाग में आईएएस अधिकरी की जगह सचिव के पद पर एक इंजीनियर की नियुक्ति की गई.

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इसके अलावा कई विभागों में कंसलटेन्ट के पद पर भी नियुक्तियों के लिए भी उपराज्यपाल की मुहर नहीं लगवाई गई है. दिल्ली सरकार ने पिछले डेढ़ साल में कई जांच समितियों का भी गठन किया, जिसमें सीएनजी फिटनेस घोटाले और डीडीसीए में गड़बड़ियों की जांच के लिए बनीं कमेटियां भी शामिल हैं. दिल्ली को अलग-अलग मोहल्ला सभाओं में बांटने का फैसला भी खटाई में पड़ सकता है, क्योंकि सिर्फ कैबिनेट की मंजूरी से इस फैसले को लागू किया गया.

एक हफ्ते में होगी समीक्षा
अलग-अलग विभागों के मुखिया को कहा गया है कि उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए सभी फाइल एक हफ्ते के भीतर भेजें. जिसके बाद समीक्षा बैठकों का दौर शुरु होगा. लेकिन इस बीच दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट भी जाने की तैयारी में है. यानि फिलहाल हाई कोर्ट के फैसले के मुताबिक उपराज्यपाल ही दिल्ली में सुप्रीम बने रहेंगे जब तक सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार को कोई राहत न मिल जाए.

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