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प्रद्युम्न के माता-पिता ने बयां किया दर्द, उठाए कुछ अनसुलझे सवाल

प्रद्युम्न की हत्या को दो महीने होने वाले हैं. प्रद्युम्न की मौत के बाद कैसी है उनके माता-पिता की जिंदगी, क्या कहती है सीबीआई की रिपोर्ट और सीबीआई की जांच पर प्रद्युम्न के माता-पिता का क्या कहना है, पढ़ें...

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प्रद्युम्न मर्डर केस
प्रद्युम्न मर्डर केस

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ठाकुर परिवार के लिए 8 सितंबर की उस सुबह के बाद समय मानो थम सा गया है. प्रद्युम्न नहीं रहा. अब मां ज्योति और पिता वरुण सिर्फ अपने लाडले को इंसाफ दिलाने में लगे हुए हैं.

प्रद्युम्न की बहन विधि, जिसने आखरी बार प्रद्युम्न को स्कूल के अंदर देखा था. 8 सितंबर की घटना के बाद से रेयान इंटरनेशनल स्कूल में गई ही नहीं. पिता वरुण बताते हैं की विधि का दाखिला कहीं दूसरे स्कूल में करा दिया गया है और उस स्कूल की पहचान उन्होंने जान-बूझकर छुपा रखी है.

इस मामले में CBI की जांच जारी है, लेकिन अभी तक कोई तसल्लीबख्श जानकारी नहीं कि वह कौन दरिंदा था, जिसने प्रद्युम्न का कत्ल किया.

आज तक से खास बातचीत में वरुण ठाकुर और उनकी पत्नी ज्योति ने कहा कि उन्हें उम्मीद है किसी दिन उनको सच और पूरा सच का पता जरूर लगेगा.

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मेरे बाबू को बस इंसाफ दिला दो

प्रद्युम्न की मां ज्योति ठाकुर कहती हैं कि प्रद्युम्न की मौत के बाद अब तक स्कूल की तरफ से कोई नहीं आया. यहां तक कि किसी ने हमें फोन तक नहीं किया. उन्होंने कहा, 'प्रद्युम्न के साथ पढ़ने वाले स्कूल के दूसरे बच्चों के मां-बाप जरूर हमें मिलने आए. यहां तक कि प्रद्युम्न की क्लास टीचर ने भी हमें फोन नहीं किया.' ज्योति ने कहा कि मैंने जरूर एक बार उसकी क्लास टीचर को एक बार फोन किया था. लेकिन उन्होंने कहा कि कल बात करेंगे पर आज तक कभी फोन नहीं आया.

वह पूछती हैं, 'उनका बच्चा होता तो क्या वह आगे आकर मदद नहीं करते? एक औरत होने के नाते थोड़ा तो मन में दर्द आता है किसी भी बच्चे के लिए.' ज्योति कहती हैं कि उन लोगों के मन में एक बार भी मेरे बच्चे को सपोर्ट करने का ख्याल नहीं आया. सिंपथी के लिए ही सही, पर कुछ तो कह ही सकते थे. मैं बस ये जानना चाहती हूं कि आखिर क्या कारण था, जो मेरे बच्चे के साथ ऐसा हुआ. जो सच बात है वो सबके सामने आए ताकि मेरे बच्चे को इंसाफ मिले. हम धीरे-धीरे सच्चाई को स्वीकार कर रहे हैं और अपनी बेटी पर धयान दे रहे हैं. हम दोनों से ज्यादा हमारी बेटी खुद को संभाल रही है. 8 सितंबर का दिन हमारी जिंदगी का सबसे खराब दिन था, जब हमारा 7 साल का बच्चा हमें छोड़कर चला गया.'

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प्रद्युम्न के पिता कहते हैं कि कई बार मैं सोचता हूं कि उस दिन प्रद्युम्न की तबीयत खराब क्यों नहीं हो गई, क्यों उस दिन ऐसी कोई वजह हमें नहीं मिली, जिससे हम उसे स्कूल जाने से रोक लेते.

इंक्वायरी में थोड़ी तेजी लाए सीबीआई

प्रद्युम्न के पिता वरुण ठाकुर ने कहा कि इस पूरे मामले की इंक्वायरी सीबीआई कर रही है. सीबीआई ने 22 सितंबर से अपनी इंक्वायरी शुरू कर दी थी. लेकिन शुरुआती जांच और इंक्वायरी से कुछ खास पता नहीं चल सका है. CBI ने हमसे बातचीत के दौरान 8 सितंबर के घटित हुई घटनाओं के बारे में पूछा था, इसके अलावा इंक्वायरी में क्या चल रहा है और सीबीआई ने क्या पता लगाया है, इसका पता नहीं चल रहा है.

सीबीआई हमसे इंफॉर्मेशन साझा नहीं कर रही. उन्होंने कहा है कि हमारे प्रोटोकॉल के मुताबिक वो सारी बातें हमसे सांझा नहीं कर सकते. CBI ने हमें विश्वास दिलाया है कि जिस दिन वो चार्जशीट फाइल करेंगे और जो भी जांच में तथ्य सामने आएंगे, वह सिर्फ हमसे ही नहीं, बल्कि पूरे देश के साथ साझा करेंगे.

नहीं है गुडगांव पुलिस की थ्योरी पर विश्वास

जिस दिन यह घटना हुई, उसी शाम पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अशोक ने प्रद्युम्न को मारा है. प्रद्युम्न को मारने से पहले उसने मोलेस्टेशन करने की कोशिश भी की थी. उसकी बात सामने आ जाए इस डर से उसने बच्चे को मार दिया. उस दिन भी हमें गुड़गांव पुलिस की यह रिपोर्ट गलत लग रही थी. ना सिर्फ हमें, बल्क‍ि किसी को भी रिपोर्ट ठीक नहीं लग रही थी. इतनी सी बात के लिए एक बच्चे का कत्ल नहीं किया जा सकता. क्योंकि एक बच्चा जाकर उस तरह की बात किसी से भी करता तो शायद उसको गंभीरता से ना लेते लोग.

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यह बात समझ से परे है कि 5 मिनट के अंदर ऐसा क्या हुआ था कि स्कूल के स्टार्ट होने के समय जब स्कूल में काफी हलचल होती है, उसी दौरान ऐसा हादसा हो गया. प्रद्युम्न के पिता ने कहा कि बिना किसी प्री प्लान के ऐसा नहीं हो सकता. यह कहीं ना कहीं एक सुनियोजित तरीके से किया गया क्राइम है. 5 मिनट में होने वाली यह घटना नहीं थी.

जब से हादसा हुआ है तब से लेकर अब तक स्कूल के किसी भी अधिकारी या टीचर ने प्रद्युम्न के माता-पिता के साथ कोई भी संपर्क नहीं रखा है.

स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून की आवश्यकता

स्कूल में बच्चों की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है. दिन का बड़ा हिस्सा बच्चे स्कूल में गुजारते हैं. ऐसे में उनकी सुरक्षा को लेकर सख्त कानून आना बेहद जरूरी है. हमारे साथ जो हुआ, वह किसी भी परिवार के साथ ना हो. घर के बाद के स्कूल को बच्चों के लिए सुरक्ष‍ित जगह मानी जाती है. स्कूल में अगर ऐसी घटनाएं होती रहीं तो स्कूल से सबका विश्वास उठ जाएगा. इसलिए स्कूल के प्रशासन और वहां के श‍िक्षकों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए. अगर ऐसी घटना होती हैं तो वह भी जिम्मेदार होंगे.

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