दिल्ली में शराब की दुश्वारियां खत्म होने में वक्त लगने वाला है. एक के बाद एक शराब कारोबारी दिल्ली को टाटा-बाई बाई कहने में लगे हैं. कहां पिछले साल साढ़े आठ सौ दुकानों को खोलने की बात चल रही थी और आज की तारीख में उनकी संख्या 240 के आस-पास रह गई है. कई सारे इलाके तो ऐसे हैं जहां अब कोई भी दुकान नहीं बचा ऐसे इलाकों में दिल्ली के कई सारे पॉश माने जाने वाले साउथ दिल्ली के हाई प्रोफाइल एरिया भी हैं.
सफदरजंग इंक्लेव, पंजाबी बाग, ग्रेटर कैलाश, एंड्रयूज गंज, चितरंजन पार्क, कमला नगर, मॉडल टाउन, राजेंद्र नगर, सरिता विहार, प्रीत विहार और चांदनी चौक जैसे इलाकों में तो एक भी दुकान नहीं बची हैं.
अगले महीने से क्या होगा
अगले महीने यानि एक सितंबर से दिल्ली की सारी दुकानें सिर्फ सरकारी एजेंसियां ही चलाएंगी. तब दिल्ली में 500 दुकानों को खोलने की योजना है ताकि किसी भी इलाके में शराब की कमी ना हो जिसे दिसंबर तक बढ़ाकर लगभग 700 दुकानों तक कर दिया जाएगा. लेकिन यहां भी एक अलग मुश्किल आ रही है.
500 दुकानों में अभी तक 300 दुकानें भी किराए पर नहीं ली जा सकीं हैं. इसकी बड़ी वज़ह ये है कि जब पिछले साल नवंबर तक सरकारी दुकानें चलती थीं तो उनमें से लगभग 476 दुकानें किराए पर थीं, जब पिछली पॉलिसी खत्म हुई तो सरकारी एजेंसियों को वो दुकानें छोड़नी पड़ीं लेकिन आज जब उन्हें वो दुकानें वापस चाहिए तो फिर मिल नहीं पा रही. ऐसे में सरकारी एजेंसियों की नज़र उन दुकानों पर है जिसे नई पॉलिसी के तहत प्राइवेट कारोबारियों ने बनाया. जब प्राइवेट कारोबारी शराब के बिजनेस से बाहर होंगे तो उन्हीं दुकानों में सरकारी एजेंसियां अपना ठेका खोलेंगी.
अगले 15 दिनों तक दिल्ली में शराब की किल्लत
इस समय दिल्ली में शराब को लेकर कंफ्यूजन बना हुआ है. नई पॉलिसी के तहत लगभग 32 ज़ोन तय किए थे, लेकिन 17 ज़ोन खाली पड़े हुए हैं. इनमें से 10 से ज़्यादा ज़ोन तो मौजूदा विवाद शुरु होने से पहले ही खाली हो गए थे, बाकियों ने इस महीने अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया. जो दुकान खली भी हुईं हैं उनमें कई तरीके के ब्रांड अभी से ही नदारद हैं क्योंकि ज़्यादातर रिटेलर से लेकर होलसेलर तक अपने स्टॉक निकाल रहे हैं.