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शीला दीक्षित को सरकारी फंड से खर्च किए 11 करोड़ रुपए सरकार को लौटाने होंगे

लोकायुक्त ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को सरकार को 11 करोड़ लौटाने के आदेश दिए हैं. शीला दीक्षित ने 2008 के चुनाव के दौरान सरकारी फंड से 22 करोड़ रुपये प्रचार में खर्च किए थे.

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लोकायुक्त ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को सरकार को 11 करोड़ लौटाने के आदेश दिए हैं. शीला दीक्षित ने 2008 के चुनाव के दौरान सरकारी फंड से 22 करोड़ रुपये प्रचार में खर्च किए थे. लोकायुक्त ने जांच के पाया कि शीला सरकार ने सरकारी खजाने का प्रचार के लिए फिजूल इस्तेमाल किया. इसके बाद लोकायुक्त ने शीला सरकार को आदेश देकर 11 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में वापस करने को कहा है.

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दिल्ली के लोकायुक्त ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनावों से पूर्व ‘राजनीतिक उदेश्य’ से विज्ञापन प्रचार कार्यक्रम चलाने के लिये सरकारी कोष का दुरूपयोग करने का दोषी ठहराया है. लोकायुक्त न्यायमूर्ति मनमोहन सरीन ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से सिफारिश की है कि वे शीला दीक्षित को जनता के धन के दुरूपयोग के खिलाफ आगाह करें.

उन्होंने राष्ट्रपति से यह भी सिफारिश की कि वह मुख्यमंत्री को यह ‘सलाह’ दें कि वे स्वयं अथवा अपनी पार्टी की ओर से विज्ञापन पर आयी लागत की आधी राशि 11 करोड़ रुपये या कोई भी राशि जो राष्ट्रपति सही समझते हों, वापस कर दें. लोकायुक्त ने दिल्ली के पूर्व भाजपा अध्यक्ष विजेन्दर गुप्ता की एक शिकायत पर जांच शुरू की थी.

अपनी शिकायत में गुप्ता ने आरोप लगाया था कि शीला दीक्षित ने वर्ष 2008 के विधानसभा चुनावों में राजनीतिक लाभ पाने के लिये विज्ञापन के जरिये प्रचार अभियान छेड़ कर मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी हैसियत का दुरूपयोग किया है. उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकारी मशीनरी, खासकर सूचना एवं प्रचार विभाग को निर्देश दिया गया था कि वह मुख्यमंत्री की सकारात्मक छवि पेश करें ताकि चुनावों में इसका लाभ मिल सके और सत्ता विरोधी लहर पर काबू पाया जा सके.

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लोकायुक्त ने कहा, दिल्ली सरकार और कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रकाशित विज्ञापनों के स्वरूप स्पष्ट तौर पर एक दूसरे के बीच गहरे और अभिन्न संबंध की ओर इशारा करते हैं.’

लोकायुक्त ने अपने आदेश में कहा कि सूचना एवं प्रचार विभाग के तत्कालीन निदेशक उदय सहाय का एक लेख मुख्यमंत्री और उनके विभाग द्वारा सत्ता विरोधी लहर पर काबू पाने और मुख्यमंत्री की छवि निखारने एवं 2008 के चुनाव में उन्हें विजयी बनाने के लिये तैयार रणनीति का खुलासा करता है. उस समय मुख्यमंत्री ही सूचना एवं प्रचार विभाग का काम देख रही थीं.

लोकायुक्त ने कहा कि मुख्यमंत्री के साथ सूचना एवं प्रचार विभाग की प्रभारी रहीं प्रतिवादी ने दिल्ली सरकार के सभी विभागों और मंत्रालयों द्वारा जारी विज्ञापनों पर कडी नजर रखी और इस तरह वह सीधे तौर पर इसके लिये जिम्मेदार हैं.

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