मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हुआ है. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है. जिसके बाद अब आगामी 10 मई को मामले में फैसला सुनाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में तय करेगा कि पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण दिया जाएगा या फिर नहीं. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस एएम खानविलकर की अगुआई वाली तीन जजों की पीठ के सामने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट की शर्तों पर काम पूरा हो गया है. बस सारे अध्ययन और रिपोर्ट्स को संयोजित कर सामने रखना है.
इस बाबत पिछड़ा जाति आयोग ने संबंधित आंकड़े जुटाकर समाज के विभिन्न तबकों के साथ उन पर चर्चा करने के बाद अध्ययन रिपोर्ट भी तैयार की है. आयोग ने आरक्षण में ओबीसी के लिए 35 फीसदी हिस्सेदारी की सिफारिश की है. सर्वेक्षण के मुताबिक समाज में ओबीसी का अनुपात 49 फीसदी है. पिछड़ेपन के अध्ययन लिए आयोग ने जरूरी कार्यवाही और कवायद पूरी कर ली है.
जस्टिस अजय एम खानविलकर, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस सीटी रवि कुमार की पीठ को सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि ट्रिपल टेस्ट की कवायद पूरी कर ली गई है. सरकार ने कहा कि रिपोर्ट्स और आंकड़ों के संयोजन के लिए एक हफ्ता और दे दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि दो साल से राज्य में पंचायतों के चुनाव बकाया हैं. अब तक आपने जरूरी कार्यवाही पूरी नहीं की, हम कैसे मान लें कि हफ्ते भर में आप सब निपटा लेंगे और हमें संतुष्ट कर सकेंगे. इस पर कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने का ऐलान करते हुए फैसला रिजर्व कर लिया. आगामी दस मई को फैसले का ऐलान किया जाएगा.