केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. इस बीच एक बुजुर्ग जनक राज, जो बरनाला जिले के कस्बा धनोला से खेती कानूनों के विरोध में दिल्ली गए किसानों के ट्रैक्टर ठीक करने पहुंचे थे, उनकी कार में जलकर दर्दनाक मौत हो गई. मृतक जनक राज किसानों के संघर्ष में हिस्सा लेना चाहता था और ट्रैक्टर रिपेयर करने वालों के साथ दिल्ली गए थे. बरनाला जिले के कस्बा धनोला से संबंधित जनक राज साइकिल रिपेयरिंग का काम करते थे. इसके साथ ही वो ट्रैक्टर मैकेनिक भी थे.
जनक राज शनिवार को काफिले में गए ट्रैक्टरों को ठीक करने दिल्ली पहुंचे थे. देर रात अपना काम खत्म कर जनक राज कार में सोने चले गए और किसी कारण कार में आग लग गई, जिसमें उनकी दर्दनाक मौत हो गई. सभी किसान संगठनों और स्थानीय लोगों ने जनक राज की मृत्यु पर अफसोस प्रकट किया है.
वहीं किसान संगठन ने ऐलान करते हुए कहा कि जब तक मृतक के परिजनों को मुआवजा, कर्ज माफी और सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी तब तक मृतक का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा.
इस मामले में विस्तृत जानकारी देते हुए मृतक के बेटे साहिल, बड़े भाई मोहन लाल, भतीजे अजय कुमार और स्थानीय पार्षद मुनीश बंसल ने बताया कि मृतक जनक राज की आयु करीब 57 साल थी. वह साइकिल रिपेयरिंग का काम कर अपने परिवार का गुजारा करते थे. उन्होंने बताया कि उनका परिवार अति गरीब परिवार है और बड़ी मुश्किल से मृतक जनक राज की कमाई से उनका गुजारा हो रहा था.
उन्होंने बताया कि मृतक जनक राज शुरू से ही किसानों के संघर्ष में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे थे. परिजनों ने कहा कि स्थानीय ट्रैक्टर रिपेयर करने वाले एक मिस्त्री ने सोशल मीडिया पर दिल्ली जा रहे किसानों के खराब हुए ट्रैक्टर को मुफ्त में ठीक करने का ऐलान किया था जिसके बाद किसानों के फोन मिस्त्री के पास आ रहे थे. मिस्त्री जब दिल्ली जाने लगा तो मृतक जनक राज ने भी दिल्ली जाने की इच्छा जताई. उन्होंने कहा कि वह पंचर बनाने का काम करेंगे.
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परिवार वालों के मुताबिक जन कराज शनिवार को अपना काम खत्म कर रोहतक के पास ही कार में आराम करने के लिए सो गए और सर्दी से बचने के लिए कार में हीटर चला लिया. उसके बाद पता नहीं कैसे कार में आग लग गई. आग लगने के बाद मिस्त्री को तो कार से निकाल लिया गया लेकिन जनक राज को नहीं बचाया जा सका. उनकी कार में जलने से दर्दनाक मौत हो गई.
किसान संगठन अब पंजाब सरकार और स्थानीय प्रशासन से मृतक जनक राज के लिए 25 लाख रुपये मुआवजा और बेटे के लिए तहसीलदार की सरकारी नौकरी की मांग कर रहे हैं.
भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा के नेता कृष्ण सिंह छन्ना ने कहा कि सरकार जब तक मृतक जनक राज के परिवार को मुआवजा और उनके बेटे को सरकारी नौकरी नहीं देगी और मृतक के सिर पर चढ़ा पूरा कर्ज माफ नहीं करेगी तब तक मृतक का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि बेशक जनक राज के पास जमीन नहीं थी लेकिन फिर भी वह किसानों के संघर्ष में शामिल होने के लिए दिल्ली गए. इसलिए अब परिवार को मुआवजा और नौकरी दिलवाने की पूरी जिम्मेदारी भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा के कंधों पर है.
उन्होंने कहा कि खेती कानूनों के विरोध में दिल्ली गए किसानों के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बात कर बुराड़ी मैदान में धरना प्रदर्शन करने की बात कही गई है उसको किसान संगठनों ने रद्द कर दिया है. उन्होंने कहा कि जब तक केंद्र सरकार खेती कानूनों को रद्द नहीं करेगी तब तक किसान दिल्ली से वापस नहीं आएंगे.