आम आदमी पार्टी ने मौजूदा राजनीतिक माहौल में अपनी रणनीति बदलने का फैसला किया है. पार्टी की मुखर आवाज और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को केंद्र सरकार पर हमला करने का जिम्मा सौंपा है. इससे पहले सीएम अरविंद केजरीवाल सीधे-सीधे केंद्र सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते आए हैं.
सीएम केजरीवाल इस समय थोड़ा शांत बने हुए हैं, वहीं उनकी सरकार में शिक्षा मंत्री ने दिल्ली सरकार की परेशानियों को उठाने और केंद्र पर हमलों की अगुवाई करने का जिम्मा उठा रखा है. वह खासतौर पर एक हफ्ते से काफी ज्यादा सक्रिय दिख रहे हैं. पार्टी के एक नेता ने कहा कि AAP की आवाज के रूप में सिसोदिया का उभार एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है.
बैकफुट पर सीएम केजरीवाल
पंजाब और गोवा में AAP का सही प्रदर्शन न होने के बाद पार्टी में बहुत से लोग मानने लगे कि केजरीवाल के दांव उल्टे पड़ गए. अब पीएम नरेंद्र मोदी पर केजरीवाल के हमले उतने आक्रामक नहीं रहे जितने हुए करते थे. उपराज्यपाल को तानाशाह करार देने और उन पर समानांतर सरकार चलाने से लेकर दिल्ली सरकार के सलाहकारों को हटाने के मुद्दे पर PM मोदी को तीन पन्नों की चिट्ठी लिखने तक, केजरीवाल की जगह सिसोदिया ही केंद्र पर हमलों का काम कर रहे हैं.
सिसोदिया ने एक संवाददाता सम्मेलन भी किया और मोदी सरकार पर आरोप लगाए. लेकिन पार्टी नेताओं का कहना है कि दोनों (केजरीवाल और सिसोदिया) कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, ‘जब एक प्रबुद्ध निर्णय किया गया कि केजरीवाल अपने हमलों को धीमा करेंगे तो ऐसे में किसी को वह भूमिका निभानी थी और मनीष सिसोदिया से बेहतर यह कोई और नहीं कर सकता था.’
वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘दोनों के बीच नजदीकी का स्तर यह है कि जब उन्हें कोई कठिन फैसला लेना होता है और वे शब्दों के आदान-प्रदान की स्थिति में नहीं होते तो वे एक-दूसरे को देखते हैं और संदेश चला जाता है.’
फैसले की बड़ी वजह
दिल्ली सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधारों पर ध्यान केंद्रित कर रही है और सिसोदिया दोनों ही मोर्चों पर आगे हैं. शिक्षा मंत्री के रूप में वह सरकारी स्कूलों में सुधार की कवायद कर रहे हैं तो वित्त मंत्री के रूप में वह AAP के मोहल्ला क्लिनिकों के लिए धन दे रहे हैं. अरविंद केजरीवाल के दाएं हाथ माने जाने वाले सिसोदिया को उनके वफादार के रूप में देखा जाता है.