शराब घोटाले में जैसे-जैसे जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है, आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो चुका है. दोनों तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस हो रही हैं, नए आरोप लगाए जा रहे हैं और सीधी टक्कर देखने को मिल रही है. इस पूरे विवाद के केंद्र में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया बने हुए हैं जिनके खिलाफ सीबीआई ने शिकायत दर्ज कर ली है. उन्हें इस शराब घोटाले में नंबर वन आरोपी कहा गया है.
संजय सिंह बनाम प्रवेश वर्मा
अब अपने नेता और पार्टी को डिफेंड करने के लिए संजय सिंह आगे आए हैं. उनकी तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा गया है कि सीबीआई को मनीष सिसोदिया के घर से कुछ नहीं मिला है. वे कहते हैं कि सीबीआई के इतने बड़े छापे के बाद भी मोदी सरकार नहीं बता पाई कि क्या मिला. भाजपा के नेता रटा राटाया बयान दे रहे हैं. क्योंकि मुद्दा शराब नीति नहीं है वरना गुजरात में नकली शराब पर सीबीआई के छापे पड़ते. मुद्दा दिल्ली-पंजाब जीतने के बाद गुजरात पहुंचने का है. अब संजय सिंह के इन दावों पर बीजेपी नेता प्रवेश वर्मा ने मुंहतोड़ जवाब दिया है.
वर्मा का सिसोदिया पर बड़ा आरोप
उन्होंने सीधे-सीधे मनीष सिसोदिया पर ही वेंडरों से करीबी रिश्ते होने की बात कर दी है. इस पूरे विवाद में उन्होंने आप नेता सौरभ भारद्वाज और आतिशी को भी घसीट लिया है. वे कहते हैं कि सीबीआई ने अपनी FIR में जिन वेंडर का नाम लिया है, उसके रिश्ते मनीष सिसोदिया के साथ हैं. उनकी तसवीरें हम सामने रख रहे है. इनके रिश्ते सौरव भारद्वाज ओर आतिशी के साथ है. उनके कहने पर ही उन्हें ठेके दिये गए. प्रवेश वर्मा ने तो यहां तक कह दिया है कि असल में संजय सिंह और सौरभ भारद्वाज ही सिसोदिया को जेल भेजना चाहते हैं. इस बारे में वे बताते हैं कि आज संजय सिंह और सौरव भारद्वाज की पीसी देखी उनमे ये उत्सुकता देखने को मिली कि मनीष के घर से क्या मिला क्योकि वो भी चाहते है जल्द मनीष की गिरफ्तार किया जाए और ताकि उनको मंत्री पद मिले.
सीबीआई जांच में क्या दावा?
इस पूरे मामले की बात करें तो मनीष सिसोदिया पर दो प्रमुख आरोप चल रहे हैं. पहला आरोप ये है कि जब Excise Department ने Liquor Shops के लिए लाइसेंस जारी किए तो इस दौरान मनीष सिसोदिया द्वारा कुल Private Vendors को 144 करोड़ 36 लाख रुपये का फायदा पहुंचाया गया. क्योंकि इस दौरान इतने रुपये की License Fee माफ कर दी. जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ. इसके अलावा मनीष सिसोदिया पर ये भी आरोप है कि उन्होंने कैबिनेट को भरोसे में लिए बिना और उप-राज्यपाल के बिना फाइनल अप्रूवल के कई बड़े फैसले लिए.