दिल्ली शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया बुरी तरह फंस चुके हैं. पहले सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया, फिर अब ईडी भी उन्हें गिरफ्तार कर चुकी है. यानी कि इस एक मामले में उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. 19 फरवरी को सबसे पहले सीबीआई ने सिसोदिया के नाम समन जारी किया था. उसके बाद से उनसे पूछताछ हुई, गिरफ्तारी हुई और उन्हें तिहाड़ जेल जाना पड़ा. इस पूरे मामले की टाइमलाइन बताती है कि हर बीतते दिन के साथ इस केस में मनीष सिसोदिया फंसते चले गए.
एक नीति और दिल्ली की राजनीति में बड़ा बवाल
पिछले साल 17 अगस्त को सीबीआई ने इस केस में शिकायत दर्ज की थी. सिसोदिया समेत 15 लोगों को इस केस में आरोपी बनाया गया था. इसके बाद 19 अगस्त को सिसोदिया के घर पर सीबीआई ने छापेमारी की थी. कई तरह के दस्तावेज खंगाले गए थे. सिसोदिया ने दावा किया कि तब जांच एजेंसी को उनके खिलाफ कुछ नहीं मिला, लेकिन सीबीआई ने केस की रूपरेखा तैयार कर ली थी. इसके बाद ईडी ने भी इस मामले में एक केस दर्ज किया और मनी लॉन्ड्रिंग वाले एंगल से भी जांच शुरू हो गई. इस बीच 17 अक्टूबर को सीबीआई ने सिसोदिया से आठ घंटे के करीब पूछताछ की और फिर 25 नवंबर को सात आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. उस समय सिसोदिया के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ, ऐसे में आम आदमी पार्टी ने दावा कर दिया कि जांच एजेंसी को उनके खिलाफ कुछ नहीं मिला.
सिसोदिया मामले से कैसे जुड़ गए?
लेकिन फिर 18 फरवरी को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को समन भेज ही दिया. उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया. उस समय वे दिल्ली का बजट तैयार कर रहे थे, ऐसे में पूछताछ के लिए दूसरी तारीख मांगी. तब 26 फरवरी को सिसोदिया को फिर बुलाया गया और वे सीबीआई दफ्तर पहुंचे थे. उस समय उनसे कई घंटों की पूछताछ हुई और फिर उनकी गिरफ्तारी हो गई. तब उन्हें पांच दिन की सीबीआई कस्टडी में भेज दिया गया. उस दौरान सिसोदिया से कई बार सवाल-जवाब हुए. फिर अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सिसोदिया को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. वहां मामले में फिर नाटकीय मोड़ आया क्योंकि 9 मार्च को ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
सीबीआई के बाद ईडी एंट्री क्यों?
अभी के लिए ईडी मनीष सिसोदिया की रिमांड चाहती है. कोर्ट में सुनवाई हुई है, जमानत पर तो कोई फैसला 21 मार्च को आएगा, लेकिन रिमांड को लेकर कुछ देर में फैसला आ सकता है. वैसे सुनवाई के दौरान ED ने कोर्ट में दावा किया कि इस नीति से दक्षिण की कंपनियों को लाभ पहुंचाया गया. बड़े कारोबारियों को फायदा पहुंचाया गया. सिसोदिया के कहने पर शराब नीति के नियम बदले गए. अवैध कमाई की व्यवस्था बनाई गई. थोक व्यापार का हिस्सा खास लोगों को दिया गया. 6% की जगह 12% का मार्जिन दिया गया. डिजिटल सबूत मिटाए गए. ED ने कहा, 12 प्रतिशत मार्जिन के सवाल पर सिसोदिया गलत जवाब दे रहे थे. इस घोटाले में 219 करोड़ रुपये की ट्रेल मिली है.