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मनीष सिसोदिया 17 महीने बाद जेल से बाहर, क्या दोबारा बन सकते हैं डिप्टी CM? जानें- कहां फंस सकता है पेच

सबसे अहम बात ये है कि मंत्रियों की नियुक्ति का विशेषाधिकार मुख्यमंत्री के पास होता है, चूंकि केजरीवाल अभी भी जेल में हैं, इसलिए वे आवश्यक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने में असमर्थ हैं, और इसलिए मनीष सिसोदिया की नियुक्ति की सिफारिश नहीं कर सकते. यह प्रक्रियात्मक आवश्यकता ही एक बड़ी बाधा है.

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मनीष सिसोदिया 17 महीने बाद जेल से बाहर आए हैं. (Image: PTI)
मनीष सिसोदिया 17 महीने बाद जेल से बाहर आए हैं. (Image: PTI)

दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया शुक्रवार शाम को जेल से रिहा हो गए. मनीष सिसोदिया 17 महीने बाद जेल से बाहर आए हैं. अब बाद राजनीतिक हलकों में दिल्ली सरकार में उपमुख्यमंत्री के तौर पर उनकी संभावित वापसी को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. इस घटनाक्रम ने आम आदमी पार्टी (AAP) के सदस्यों और नेताओं के बीच दिलचस्पी बढ़ा दी है. जिनमें से कई नेताओं का मानना है कि सिसोदिया को बिना किसी देरी के मंत्री के तौर पर बहाल किया जाना चाहिए. समर्थकों का तर्क सिसोदिया के पिछले ट्रैक रिकॉर्ड और मौजूदा स्थिति पर टिका है, क्योंकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अभी भी जेल में हैं. समर्थकों का दावा है कि सरकार का नेतृत्व करने के लिए सिसोदिया एक बेहतर विकल्प हैं.

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हालांकि कुछ टेक्निकल बाधाएं हैं, जिनकी वजह से मनीष सिसोदिया की तत्काल पुनर्नियुक्ति में समस्या आ सकती है. दरअसल मंत्रियों की नियुक्ति का विशेषाधिकार मुख्यमंत्री के पास होता है, चूंकि केजरीवाल अभी भी जेल में हैं, इसलिए वे आवश्यक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने में असमर्थ हैं, इसलिए वह मनीष सिसोदिया की नियुक्ति की सिफारिश नहीं कर सकते. यह अनिवार्य प्रक्रिया ही एक बड़ी बाधा है. 

इसके अलावा दिल्ली में कैबिनेट मंत्री की नियुक्त करने की प्रक्रिया पूर्ण विकसित राज्यों से अलग है. दिल्ली में मुख्यमंत्री की सिफारिश एलजी सचिवालय के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को भेजी जानी चाहिए. राष्ट्रपति की सहमति के बाद ही नए मंत्री का शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है.

सिसोदिया की भूमिका को लेकर चर्चा तेज

अगले 6 महीनों में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में सिसोदिया की भूमिका को लेकर AAP के भीतर बहस चल रही है. कुछ लोगों का सुझाव है कि सरकार में उनकी उपस्थिति महत्वपूर्ण है, जबकि अन्य का तर्क है कि वे संगठनात्मक जिम्मेदारियों के लिए बेहतर अनुकूल हो सकते हैं. इसके अलावा सिसोदिया और उनकी पत्नी का स्वास्थ्य भी पार्टी नेताओं के लिए काफी चिंता का विषय है. 

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मनीष सिसोदिया लेंगे आखिरी फैसला

हालांकि आखिरी फैसला मनीष सिसोदिया को ही करना होगा कि क्या वे इस समय सरकार में फिर से शामिल होना चाहते हैं या अन्य मंत्रियों को उनके सरकारी कर्तव्यों में मार्गदर्शन देना पसंद करते हैं. सभी की निगाहें अब मनीष सिसोदिया पर हैं, क्योंकि AAP और दिल्लीवासी दोनों ही उनके फैसले का इंतजार कर रहे हैं. 

जेल से बाहर आने के बाद क्या बोले सिसोदिया?

जेल से बाहर आने के बाद सिसोदिया ने कहा कि वह बाबा साहब के संविधान की बदौलत ही जेल से बाहर आ पाए हैं और आधार पर केजरीवाल भी जल्द ही छूटेंगे. इसके बाद सिसोदिया मुख्यमंत्री आवास पहुंचे. उन्होंने अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल, उनके दोनों बच्चों और माता-पिता से मुलाकात की. मनीष सिसोदिया से मिलकर सुनीता केजरीवाल भावुक हो गईं.

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