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मनीष सिसोदिया बोले- मुझे नहीं बनना दिल्ली का मुख्यमंत्री

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल देश के तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों में इस मामले में बिल्कुल अनोखे हैं कि मुख्यमंत्री होने के बावजूद उनके पास एक भी विभाग नहीं है.

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अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया
अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया

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दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया प्रमोशन नहीं चाहते. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जगह करीब-करीब मुख्यमंत्री का पूरा कार्यभार संभाल रहे सिसोदिया ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने की उनकी कोई इच्छा नहीं है. दिल्ली सरकार के सारे महत्वपूर्ण विभाग मनीष के पास हैं. सभी मंत्री भी उन्हें ही रिपोर्ट करते हैं. मनीष ने मंगलवार को कहा कि जब उपमुख्यमंत्री के तौर पर ही काम बढ़िया चल रहा है तो मुख्यमंत्री क्यों बनना.

बिना पोर्टफोलियो का मुख्यमंत्री
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल देश के तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों में इस मामले में बिल्कुल अनोखे हैं कि मुख्यमंत्री होने के बावजूद उनके पास एक भी विभाग नहीं है. ये पूछने पर कि अरविंद करते क्या हैं और किस बात के मुख्यमंत्री हैं, मनीष कहते हैं, 'वो पूरी सरकार को मार्गदर्शन देने का काम करते हैं. सबके काम की समीक्षा भी करते हैं. समीक्षा के आधार पर नए दिशा-निर्देश देने का काम भी अरविंद करते हैं और शासन चलाने का सबसे अच्छा तरीका भी शायद यही है कि मुख्यमंत्री के पास समीक्षा, दिशा-निर्देश देने और मार्गदर्शन का ही काम होना चाहिए. बाकी का काम तो हम सबको करना है.'

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विधानसभा से भी नदारद रहे अरविंद
दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास कोई विभाग नहीं है, बावजूद इसके काम इतना है कि अरविंद विधानसभा सत्र के आखिरी दिन ही पहुंच पाए. आखिरी दिन विधानसभा पहुंचे मुख्यमंत्री ने ना तो सदन को संबोधित किया और ना ही दिल्ली को लेकर कोई विशेष घोषणा ही की. ऐसे में साफ जाहिर है कि दिल्ली के 'किंग' मनीष सिसोदिया ही हैं और अरविंद केजरीवाल महज नाम के मुख्यमंत्री. वैसे भी केजरीवाल का अधि‍कतर समय बाकी राज्यों में चुनाव की तैयारियों में जाता है.

मुख्यमंत्री का सारा ध्यान गोवा-पंजाब पर
आम आदमी पार्टी पंजाब और गोवा के चुनाव में अपना पूरा दम झोंक रही है. पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर केजरीवाल दोनों ही राज्यों को प्रमुखता से ले रहे हैं. ऐसे में यही लगता है कि पंजाब और गोवा में सत्ता हासिल करने के लिए अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली का सारा दारोमदार मनीष सिसोदिया के कंधों पर छोड़ दिया है. कम से कम सचिवालय और विधानसभा में मुख्यमंत्री की उपस्थिति और उनके पास जीरो डिपार्टमेंटल रिस्पॉन्सिबिलिटी देखकर तो ऐसा ही लगता है. आलम यह है कि आए दिन अरविंद केजरीवाल या तो गुजरात में होते हैं या पंजाब में या फिर गोवा में. सवाल उठना लाजिमी है कि ऐसे में वो दिल्ली पर ध्यान भी दें तो कैसे.

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कुछ ऐसा रहा है अब तक का करियर
विरोधि‍यों में अरविंद केजरीवाल के बारे में यह बात बड़ी मशहूर है कि वह एक जिम्मेदारी मिलते ही वह अगली के लिए पहली जिम्मेदारी को छोड़ देते हैं. मसलन, केजरीवाल आईआईटी में इंजीनियर बने तो आईआरएस के लिए इंजीनियरिंग छोड़ दी. एनजीओ का काम करने के लिए आईआरएस की नौकरी छोड़ दी. सड़क पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए एनजीओ का काम छोड़ दिया और राजनीति करने के लिए आखिरकार सड़क पर सक्रिय कार्यकर्ता का काम छोड़ दिया. दिल्ली के मुख्यमंत्री बने तो लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए दिल्ली छोड़ दी. तो क्या अब यह मानकर चला जाए कि दिल्ली के सीएम अब पंजाब और गोवा की राह पर चल पड़े हैं.

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