15 वर्ष से निर्माणाधीन उत्तर पूर्व दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज में हो रही देरी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने खजूरी चौक पर विशाल धरने का आयोजन किया. धरने में उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद और प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी भी शामिल हुए.
मनोज तिवारी ने कहा कि 1997 में एक स्कूल बस के यमुना में गिर जाने से 2 दर्जन से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी और उस समय की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने सिग्नेचर ब्रिज की योजना का प्रस्ताव तैयार किया था. उन्होंने कहा कि जब इसकी योजना बनाई गई थी तब अनुमानित लागत 459 करोड़ रुपए थी.
उन्होंने कहा कि 1998 के बाद दिल्ली में कांग्रेस की सरकार बनी और सिग्नेचर ब्रिज के नाम पर भ्रष्टाचार का सिलसिला शुरू हुआ. सिग्नेचर ब्रिज का निर्माण तो शुरू नहीं हुआ बल्कि उसकी कीमत 459 करोड़ से बढ़ाकर 1131 करोड़ कर दी गई, उसके बाद लागत राशि को बार-बार बढ़ाकर कांग्रेस सरकारों ने भ्रष्टाचार किया और जनता की गाढ़ी कमाई जमकर लूटी.
मनोज तिवारी ने कहा कि जब मैं सांसद बनकर आया तो मैंने तुरंत सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण पर गैमन इंडिया के अधिकारियों के साथ बैठक की. उन अधिकारियों ने बताया कि ब्रिज का निर्माण सितम्बर 2015 तक पूरा कर लिया जाएगा. बार बार मेरे प्रयास करने के बाद अब सिग्नेचर ब्रिज का 90 फीसद निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन केजरीवाल सरकार उसमें भ्रष्टाचार की संभावनाएं तलाशने के लिए निर्माण कार्य को पूरा करने की बजाय लागत राशि एक बार फिर बढ़ाना चाहती है.
तिवारी ने कहा कि सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में देरी से उत्तर पूर्वी दिल्ली की जनता परेशान है और घंटों का जाम लाखों लोगों की बदकिस्मती बनकर रह गया है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार ब्रिज के निर्माण की लागत में बार-बार हुई वृद्धि और विलम्ब के कारणों पर श्वेत पत्र लाए.
उन्होंने कहा कि अगर एक महीने में स्थिति स्पष्ट नहीं की तो बीजेपी कार्यकर्ता जनांदोलन कर ब्रिज का निर्माण पूरा करने के लिए दिल्ली सरकार को विवश कर देंगे, क्योंकि उत्तर पूर्वी दिल्ली के लाखों लोग दिल्ली के मुख्यमंत्री के दंश से पीड़ित हैं.