2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान बिना अनुमति मीटिंग करने के एक मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली से बीजेपी सांसद मनोज तिवारी को बरी कर दिया है.
एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट समर विशाल की बेंच ने सांसद को बरी करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस अपने आरोप साबित करने में नाकाम रही है. सासंद के खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिलें है. ऐसे में सुबूतों के अभाव में उन्हें बरी किया जाता है.
दरअसल, ये मामला 4 साल पुराना है. 2014 लोकसभा चुनावों में नंदनगरी थाना पुलिस की तरफ से ये मामला दर्ज किया गया था. उस समय पुलिस का आरोप था कि उत्तर पूर्वी दिल्ली से बीजेपी प्रत्याशी मनोज तिवारी ने बिना अनुमति लिए नंदनगरी में चुनावी सभा की. पुलिस ने इस मामले में 29/113 दिल्ली पुलिस एक्ट के तहत एफआईआर भी दर्ज कर ली. लेकिन कोर्ट मे ये मामला नहीं ठहर पाया.
वहीं सांसद के वकील ने अदालत में दलीलें दी कि सांसद तो अपनी पदयात्रा कर रहे थे, और उसकी इजाज़त उनके पास थी, इजाज़त मिलने के बाद ही वो पदयात्रा के लिए गए थे. पदयात्रा करते-करते जब मनोज तिवारी नंदनगरी में पहुंचे तो लोग पहले से मीटिंग कर रहे थे. उनका मीटिंग की अनुमति से कोई लेना-देना है ही नहीं है.
सांसद मनोज तिवारी का कोर्ट में अपनी सफाई में कहना था कि उस दौरान पुलिस और चुनाव आयोग के अधिकारी भी मौके पर मौजूद थे. ऐसे में उन्हें गलत मामले में फंसाया गया है. लिहाज़ा यह मामला खारिज किया जाए.
वहीं दिल्ली पुलिस की तरफ़ से इस मामले में ना तो संतोषजनक सबूत कोर्ट को दिए गए और ना ही मामले से जुड़े गवाह पेश करने मे वो कामयाब रही.