दिल्ली में नई आबकारी नीति को लेकर घमासान है. दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार लगातार खुद को ईमानदार बता रही है तो जांच एजेंसियों की तरफ से आबकारी ठेकेदारों को सीधा मुनाफा पहुंचाने का दावा किया जा रहा है. हाल ही में जांच एजेंसी ने दावा किया है कि दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति से शराब कारोबारियों की चांदी हो गई है. नई नीति आने के बाद शराब कारोबारियों को 1000% मुनाफा बढ़ गया है. वहीं, अब डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने नई नीति का बचाव किया और कहा- सीबीआई ने फर्जी FIR दर्ज की है. हकीकत ये है कि नई नीति से सरकार का 60% राजस्व बढ़ गया है.
इससे पहले जांच एजेंसी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को जानबूझकर इस तरह से बनाया है, ताकि शराब कारोबारियों को फायदा पहुंच सके और वे ज्यादा लाभ कमा सकें. बताते चलें कि दिल्ली सरकार की पुरानी शराब नीति की तुलना में 2021-22 में आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया नई नीति लेकर आए थे. इस मामले में घोटाले के दावों के बीच जांच एजेंसी ने हाल ही में दावा किया है कि नई नीति से शराब विक्रेताओं को रिटेल मार्जिन में 989% का इजाफा हुआ है.
शराब कारोबारियों को फायदा, सरकार को नुकसान!
शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया के खिलाफ ईडी समेत अन्य एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि नई आबकारी नीति लाए जाने के बाद शराब कारोबारी करीब 10 गुना मुनाफा कमा रहे थे. आजतक के हाथ जांच के ये दस्तावेज लगे हैं. इनके मुताबिक, पुरानी नीति के तहत शराब कारोबारी जितना कमाते थे, नई नीति आने के बाद उससे लगभग 10 गुना ज्यादा मार्जिन ले रहे थे. दस्तावेजों के मुताबिक, कारोबारी RK ब्रांड की शराब की 750 ML बोतल में पुरानी नीति के तहत 33.35 रुपए का लाभ कमा रहे थे.
वहीं, नई नीति के बाद इसी बोतल पर कारोबारियों को 363.27 रुपए का लाभ हो रहा था. यानी हर बोतल पर 330 रुपए ज्यादा. नई नीति के तहत ग्राहक के लिए शराब की बोतल की कीमत 530 रुपए से बढ़कर 560 रुपए हो गई थी.
560 रुपए की बोतल पर सिर्फ 1.88 पैसा एक्साइज ड्यूटी मिली
इतना ही नहीं, जांच एजेंसी ने दावा किया कि नई नीति के चलते सरकार के खाते में जाने वाली एक्साइज ड्यूटी को भारी नुकसान हुआ है. पुरानी नीति के तहत सरकार को 530 रुपए की एक बोतल पर 223.89 रुपए मिलते थे. वहीं, नई नीति के तहत एक्साइज ड्यूटी होलसेल प्राइज का सिर्फ 1% कर दी गई. यानी ग्राहकों को 560 रुपए में मिलने वाली बोतल पर सरकार को सिर्फ 1.88 पैसा एक्साइज ड्यूटी मिली.
यहां समझें पूरा गणित (कीमतें RK ब्रांड की 750 ML बोतल की हैं )
नई पॉलिसी | पुरानी पॉलिसी | |
1 बोतल की कीमत | 530 रु | 560 रु |
रिटेल मार्जिन | 33.35 रु | 363.27 रु |
एक्साइज ड्यूटी | 233.89 रु | 1.88 (1%) रु |
बड़ी रकम कमाने के लिए रिश्वत देने का शक
जांच में सामने आया है कि नई नीति के तहत शराब कारोबारियों का लाभ करीब 989% बढ़ गया. जांच एजेंसियों को शक है कि शराब लॉबी मनीष सिसोदिया के सहयोगियों को इतनी बड़ी रकम कमाने के लिए रिश्वत के तौर पर पैसे दे रही थी. वहीं, मनीष सिसोदिया ने इस मामले में सीबीआई की रेड के बाद दावा किया है कि उनकी शराब नीति देश में सबसे बेहतर है.
शराब कारोबारियों में एक करोड़ रुपए का लेन-देन मिला
जांच एजेंसियों को संदेह है कि नई आबकारी नीति से शराब लॉबी को भारी मात्रा में लाभ हो रहा था. इसके बदले AAP के नेताओं को मौद्रिक लाभ मिल रहा था. सीबीआई और ईडी ने इस दिशा में भी जांच शुरू कर दी है. सीबीआई ने अपनी FIR में दावा किया है कि मनीष सिसोदिया के सहयोगियों को शराब विक्रेता द्वारा दो बार बैंक अकाउंट में एक करोड़ रुपये और नकद में 4 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. वहीं, बीजेपी का आरोप है कि यह हजारों करोड़ का घोटाला है.
सिसोदिया ने सीबीआई की FIR को फर्जी बताया
वहीं, शुक्रवार को दिल्ली की AAP सरकार ने आबकारी नीति का बचाव किया और सीबीआई की FIR को 'फर्जी' बताया है. दिल्ली विधानसभा में डिप्टी सीएम और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सीबीआई के आरोप 'सूत्रों' पर आधारित थे, न कि सबूतों पर. उन्होंने केंद्र पर गैर-बीजेपी शासित राज्यों की सरकारें गिराने का भी आरोप लगाया है.
आबकारी नीति से राजस्व बढ़ा: सिसोदिया
सिसोदिया ने कहा- 'मेरे खिलाफ प्राथमिकी पूरी तरह से फर्जी है. मैंने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है. वे (भाजपा) अन्य राज्यों की सरकारों को खत्म करने के लिए सीरियल किलर की तरह काम कर रहे हैं. वे राज्य सरकारों को खत्म करने के लिए जो प्रयास कर रहे हैं, उन्हें इतनी मेहनत स्कूलों और अस्पतालों के निर्माण में लगानी चाहिए. सिसोदिया ने कहा कि आबकारी नीति की वजह से लोगों पर कोई बोझ नहीं था. इससे सरकार का राजस्व भी बढ़ा, लेकिन बीजेपी इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है.
आम आदमी पार्टी ने अपनी आबकारी नीति के बारे में एक एक्सप्लेनर चार्ट भी जारी किया है, जिसमें अंतिम उपभोक्ताओं के लिए खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि किए बिना बोलियों से लाइसेंस शुल्क से सरकारी राजस्व में लगभग 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिखाई गई है.