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नई दिल्ली: एल्डरमैन केस की आज SC करेगा सुनवाई, फैसले से तय होगी MCD की सियासत   

दिल्ली नगर निगम में 10 एल्डरमैन के मनोनीत होने का मामला सुप्रीम कोर्ट में हैं. आज कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगा. दरअसल AAP का आरोप है कि एलजी ने जिन लोगों को मनोनीत किया है, वे बीजेपी से जुड़े हुए हैं. इनके वोट करने से AAP का नुकसान पहुंच सकता है.   

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CJI डी वाई चंद्रचूड़ समेत दो जजों की बेंच करेगी मामले की सुनवाई (फाइल फोटो)
CJI डी वाई चंद्रचूड़ समेत दो जजों की बेंच करेगी मामले की सुनवाई (फाइल फोटो)

दिल्ली नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी का गठन अभी तक नहीं हो पाया है. वहीं मौजूदा मेयर शैली ओबेरॉय का कार्यकाल 31 मार्च 2023 को खत्म हो चुका है. नए मेयर का चुनाव 26 अप्रैल को हो सकता है. दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक निगम में पहले साल महिला मेयर और अगले साल जनरल कैंडिडेट निगम का मेयर बनता है. AAP ने एलजी मनोनीत निगम के 10 एल्डरमैन के मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है, जिसकी सुनवाई 10 अप्रैल यानी आज होनी है, तो वहीं  बीजेपी के 2 पार्षदों ने सदन से स्टैंडिंग कमेटी के लिए चुने जाने वाले 6 पार्षदों के री-इलेक्शन को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दे रखी है, जिसकी सुनवाई 24 अप्रैल 2023 को होनी है.

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कोर्ट में अब तक क्या हुआ

एमसीडी में 10 एल्डरमैन के नामांकन को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर आज यानी 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच यह सुनवाई करेगी. अदालत ने 29 मार्च को याचिका पर एलजी से जवाब तलब किया था. एलजी के फैसले को चुनौती देते हुए AAP के वकील ने दावा किया कि चुनी हुई सरकार से राय लिए बिना एल्डरमैन को एलजी ने चुन लिया.

सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश पर दिल्ली में 22 फरवरी को मेयर और उप मेयर का चुनाव हुआ था. तब कोर्ट ने साफ किया था कि ये एल्डरमैन सदन में मतदान नहीं कर सकेंगे. दरअसल याचिका का आधार दिल्ली नगर निगम के अधिनियम को बनाया गया, जिसमें उल्लेख है कि 25 साल से अधिक उम्र वाले उन लोगों को एल्डरमैन रखा जाना चाहिए, जिन्हें निगम का विशेष ज्ञान या अनुभव हो.

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इसलिए कोर्ट पहुंच गया केस

एलजी ने जिन 10 लोगों को एमसीडी में नामित किया है, वे बीजेपी से ताल्लुक रखते हैं. इनके जोन चुनाव में वोट करने से दिल्ली एमसीडी के जोनल चुनाव में आम आदमी पार्टी आंकड़े में सेंट्रल, सिविल लाइन और नरेला जोन में कमजोर पड़ रही है. इसके उलट बीजेपी मजबूत. लिहाजा कोर्ट का फैसला जोनल चुनाव यानी वार्ड समिति और जोन चेयरमैन के चुनाव में बहुत बड़ा रोल रखेगा.

बीजेपी ने चलाए सियासी तीर

दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर का इस मामले में कहना है कि डी.एम.सी. एक्ट 1957 की धारा 68 के तहत स्थायी समिति एक ऐसी समिति है, जो नगर निगम चुनावों के बाद नई समिति के गठन होने तक बनी रहती है यानी नए चुनाव के बाद भी नई समिति के चुने जाने तक पुराने सदन की स्थायी समिति काम करती रहती है. आरोप लगाया कि मेयर ने जोनल वार्ड समितियों और शिक्षा समिति और ग्रामीण समिति जैसी अन्य वैधानिक समितियों के गठन की अनुमति नहीं दी, जिससे विकास कार्य रुके हुए हैं और संविदा कर्मचारियों के अनुबंधों का नवीनीकरण भी नहीं हो रहा है. 

दिल्ली भाजपा प्रवक्ता ने महापौर से डी.एम.सी. एकट 1957 के अनुसार काम करने और क्षेत्रीय बैठकों के लिए भाजपा पार्षदों को बुलाने और स्थायी समिति, क्षेत्रीय वार्ड समितियों और अन्य वैधानिक समितियों के तत्काल गठन की अनुमति की मांग की. वहीं आप की नजर सुप्रीम फैसले पर टिकी है.

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