दिल्ली बीजेपी में एमसीडी चुनाव से पहले सबकुछ ठीक नहीं लग रहा. ऐसा इसलिए है क्योंकि नया प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही अलग अलग गुट के नेता पार्टी में अपना वर्चस्व कायम करने की होड़ में उलझे हुए हैं. मनोज तिवारी के अध्यक्ष बनने के बाद से ही ये होड़ शुरु हो गई थी. ऐसा माना जाता है कि वे संगठन के लिहाज से दिल्ली में नए नए हैं और पार्टी की अंदरूनी राजनीति से भी वाकिफ नहीं है.
ताजा मामला तिवारी की गैरमौजूदगी में एमसीडी चुनाव के उम्मीदवारों के इंटरव्यू करने के लिए अलग से कोर कमेटी बनाने को लेकर है. जिसके बाद नाराज तिवारी ने अब पार्टी की कोर कमेटी की मीटिंग बुला ली है. पहले 26 फरवरी को होने वाली बैठक अब आनन फानन में 22 फरवरी को ही बुला ली गई है. सूत्रों के मुताबिक तिवारी समानांतर कोर कमेटी बनाने को लेकर नाराज हैं और यूपी चुनाव प्रचार के बीच में दिल्ली आकर इस मीटिंग के जरिए वो पार्टी के भीतर अपनी ताकत का एहसास कराने की कोशिश में हैं.
विधानसभा चुनाव में हारने के बाद हुई थी नियुक्ति
बीजेपी हाई कमान ने मनोज तिवारी को दिल्ली का अध्यक्ष इसलिए बनाया था कि विधानसभा में मिली करारी हार के बाद पार्टी में नई जान फूंकी जा सके. अलग-अलग खेमों में बंटी बीजेपी को एक न्यूट्रल नेतृत्व मिल सके. जबकि मनोज तिवारी के अध्यक्ष बनने के बाद दिल्ली बीजेपी के भीतर ही नए समीकरण बनने लगे हैं.
मनोज तो कुछ और ही कहते हैं
मनोज तिवारी का कहना है कि पार्टी की कोर कमेटी पहले से ही तय है. इसमें सभी सांसद और पूर्व अध्यक्ष सम्मिलित हैं. साथ ही एमसीडी चुनाव के लिए कोई अलग से कमेटी नहीं बनाने की बात भी मनोज तिवारी ने कही है. इसी के बाद इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि तिवारी दिल्ली बीजेपी के प्रभारी श्याम जाजू की दखलंदाजी से नाराज हैं. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक श्याम जाजू उनकी गैरमौजूदगी में न सिर्फ पार्टी नेताओं की बैठक ले रहे हैं बल्कि एमसीडी चुनाव में टिकटों को लेकर भी खासी दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
आज की बैठक में बीजेपी के बड़े नेता और जनप्रतिनिधि होंगे
बुधवार (आज) होने वाली बैठक में दिल्ली के सभी सांसदों के साथ दिल्ली बीजेपी के तीनों महामंत्री और दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता को बुलाया गया है. माना जा रहा है कि तिवारी इस बैठक के जरिए पार्टी के भीतर ही ये संदेश देना चाहते हैं कि वे डमी अध्यक्ष नहीं है. ऐसे में अब तिवारी भले ही संदेश देने में कामयाब हो भी जाएं लेकिन ऐन एमसीडी चुनाव के पहले बीजेपी के भीतर शुरू हुई उठापटक कहीं पार्टी की चुनावी नैया न डूबो दे.