MCD Election Results 2022: दिल्ली के नगर निगम (एमसीडी) चुनाव आम आदमी पार्टी ने जीत लिया है. आम आदमी पार्टी को 250 वार्डों वाली एमसीडी में बहुमत मिल गया गया है. 15 साल से एमसीडी पर काबिज बीजेपी को करारी शिकस्त मिली है. हालांकि, बीजेपी ने एमसीडी को आम आदमी पार्टी से बचाने के लिए अपने सारे 'अस्त्र' आजमाए थे. इसके बावजूद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की 'झाड़ू' ने उन्हें अपनी रणनीति से बेअसर कर दिया.
एमसीडी की कुल 250 पार्षद सीटों में से आम आदमी पार्टी 134 सीटें जीत ली हैं. बीजेपी सौ का आंकड़ा जरूर पार किया है, लेकिन बहुमत से दूर रही. बीजेपी को 104 सीटें मिली हैं. वहीं, कांग्रेस दहाई के आंकड़े को नहीं छू पाई है जबकि अन्य को तीन सीटें हासिल हो गईं हैं..
AAP की झाड़ू के आगे नहीं चले BJP के अस्त्र
1. मंत्रियों-मुख्यमंत्रियों की फौज
दिल्ली नगर निगम चुनाव में इस बार जैसा नजारा है वैसा शायद पहले कभी नहीं रहा. एमसीडी में अपनी 15 साल की सत्ता बचाने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी थी. पार्षद उम्मीदवारों का प्रचार के लिए भाजपा के मंत्री और मुख्यमंत्री तक गली-मुहल्लों में सभाएं कर रहे थे. केंद्रीय मंत्रियों की पूरी फौज को बीजेपी ने उतार दिया था. बीजेपी में प्रचार की कमान दिल्ली के सभी सातों सांसद, पूर्व मेयर और दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता संभाल रहे थे.
बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी चुनाव प्रचार में उतरे थे, जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी, एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान, असम के हेमंत बिस्वा सरमा, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर और उत्तर प्रदेश के डिप्टीसीएम केशव प्रसाद मौर्य उतरे थे.
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, हरदीप पुरी, और अनुराग ठाकुर ने रोड शो किए थे. पीयूष गोयल ने हनुमान चालीसा का पाठ किया. पूर्वांचलियों को रिझाने के लिए बीजेपी ने मनोज तिवारी, दिनेश लाल यादव निरहुआ और रवि किशन जैसे सांसदों को प्रचार में उतारा. बीजेपी की ये तमाम सारी कोशिशें सब धरा रह गया.
वहीं, एमसीडी चुनाव में बड़े-बड़े नेताओं की फौज उतारने पर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी बीजेपी को आड़े हाथों लिया था. सिसोदिया ने कहा था कि एमसीडी में 15 सालों से बीजेपी है, लेकिन न तो दिल्ली साफ हुई है और न ही पार्क. एमसीडी में बीजेपी ने कोई काम नहीं किया, इसलिए अपने नेताओं की पूरी फौज उतारनी पड़ रही है. हालांकि, आम आदमी पार्टी ने भी अपने नेताओं को जमीन पर उतार रखा था.
2. तीनों एमसीडी का एकीकरण
दिल्ली में शीला दीक्षित के शासन काल में कांग्रेस ने एमसीडी चुनाव जीतने के लिए साल 2012 में नगर निगम के तीन हिस्सों में बांट दिया था, लेकिन तब तीनों जगह बीजेपी का कब्जा हो गया था. इसी साल केंद्र की मोदी सरकार ने तीनों एमसीडी को फिर से एक कर दिया. एमसीडी के एकीकरण से वार्डों की संख्या भी 272 से घटकर 250 पर आ गई.
राजनीतिक जानकर कहते रहे हैं कि बीजेपी ने तीनों एमसीडी का एकीकरण इसलिए किया गया ताकि आम आदमी पार्टी को निगम में आने से रोका जा सके. बीजेपी फिर से सत्ता में आती है तो उससे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कमजोर करने में मदद मिलेगी. तीन एमसीडी होने से दिल्ली में तीन मेयर होते थे, लेकिन एकीकरण के बाद एक ही मेयर होगा, जिसके पास मुख्यमंत्री के बराबर ताकत होगी. लेकिन बीजेपी का ये दांव भी नहीं चला और आम आदमी पार्टी बहुमत से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज किया.
3. तय समय से देरी से चुनाव
दिल्ली की तीनों नगर निगम का कार्यकाल इस साल मई में खत्म हो गया था. लेकिन तीनों एमसीडी के एकीकरण की वजह से नवंबर में एमसीडी चुनाव की तारीखों का ऐलान किया गया. आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर चुनाव टालने का आरोप लगाया था. आम आदमी पार्टी का कहना था कि बीजेपी हार के डर से जानबूझकर चुनाव कराने में देरी कर रही है.
वहीं, चुनाव आयोग का कहना था कि एकीकरण की वजह से देरी हुई, क्योंकि वार्डों का परिसीमन भी करना था. वार्डों के परिसीमन के लिए चार महीने का समय था. इसके बाद नवंबर में चुनाव कराए गए, लेकिन बीजेपी का यह दांव भी काम नहीं आया. आम आदमी पार्टी की आंधी में बीजेपी का सफाया हो गया.
4. विधानसभा के साथ चुनाव
दिल्ली एमसीडी चुनाव की घोषणा ऐसे समय हुई जब गुजरात और हिमाचल में विधानसभा चुनाव चल रहे थे. आम आदमी पार्टी हिमाचल और गुजरात दोनों जगह पर पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रही थी. अरविंद केजरीवाल ने गुजरात चुनाव पर पूरा फोकस कर रखा था. ऐसे में चुनाव आयोग ने एमसीडी चुनाव की तारीखों को गुजरात चुनाव के आसपास ही रखीं इसके लिए आम आदमी पार्टी ने केंद्र की बीजेपी सरकार को घेरा और कहा कि जानबूझकर गुजरात चुनाव के साथ रखा गया है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना था कि बीजेपी जानबूझकर दिल्ली एमसीडी और गुजरात चुनाव करा रही है ताकि आम आदमी पार्टी का संसाधन और समय बंट जाए. उन्होंने कहा था कि बीजेपी ने उन्हें घेरने के लिए जो चक्रव्यूह रचा है, उसमें वो नहीं फंसेंगे. इसके लिए उन्होंने कहा था कि हम नए जमाने के अभिमन्यु हैं और मुझे चक्रव्यूह तोड़ना आता है.
गुजरात और एमसीडी चुनाव साथ-साथ कराने से बीजेपी को ही सियासी नुकसान उठाना पड़ा है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह तक ने अपना पूरा फोकस गुजरात पर केंद्रित कर रखा था. ऐसे में गुजरात का तो पता नहीं, लेकिन एमसीडी में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के 15 साल के किले को ध्वस्त कर दिए हैं.
5. शराब घोटाले पर एक्शन
एमसीडी चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही दिल्ली का शराब घोटाला चर्चा में आ गया. बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर जगह-जगह शराब के ठेके खोलने का आरोप लगाया. चूंकि, एक्साइज डिपार्टमेंट मनीष सिसोदिया के पास है, इसलिए उन्हें भी लपेटे में लिया गया और उन्हें पूछताछ के लिए भी तलब किया गया था.
जांच एजेंसियां चुनाव तारीखों के ऐलान के बाद एक्शन और तेज हो गया. सीबीआई और ईडी ने भी चार्जशीट दाखिल की. हालांकि, चार्जशीट में मनीष सिसोदिया का नाम नहीं था. आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने सीधे-सीधे इसे एमसीडी चुनाव से जोड़ दिया. राघव चड्ढा ने भी कहा कि एमसीडी चुनाव में हफ्तेभर का समय बचा है लेकिन इन्हें मनीष सिसोदिया के खिलाफ सबूत नहीं मिला. अगर मिला होता तो बीजेपी वाले छत पर चढ़कर चिल्लाते.
इसी बीच महाठग सुकेश चंद्रशेखर के 'लेटर बम' भी आए, जिसमें उसने सत्येंद्र जैन को 10 करोड़ रुपये की प्रोटेक्शन मनी देने का आरोप लगाया. सुकेश ने ये भी दावा किया कि गोवा और पंजाब चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी ने उससे पैसे मांगे थे. इस पर अरविंद केजरीवाल ने तंज कसते हुए कहा था कि बीजेपी को सुकेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना देना चाहिए.
6. सत्येंद्र जैन के वीडियोज
एमसीडी चुनाव के प्रचार के दौरान ही जेल में बंद सत्येंद्र जैन के वीडियोज भी जारी होते रहे. ये वीडियोज बीजेपी ने जारी कर केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा था. किसी वीडियो में सत्येंद्र जैन जेल में मसाज करवाते दिखे तो किसी में मेवा और सलाद खाते.
हालांकि, इन वीडियोज को आम आदमी पार्टी ने फर्जी बताया था. मनीष सिसोदिया ने कहा कि वो रोज ऐसे वीडियो लाएंगे, क्योंकि उन्होंने कोई काम तो किया नहीं है. जनता पूछ रही है कि पिछले 15 साल में क्या काम हुआ? कूड़े के ढेर को लेकर क्या किया?
वहीं, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो ये तक कह दिया था कि जेल के अंदर के वीडियो बाहर कैसे लीक हो सकते है. और अगर ऐसा ही होने लगा तो फिर तिहाड़ की सिक्योरिटी का क्या होगा.
7. ध्रुवीकरण की कोशिश
एमसीडी चुनाव में बीजेपी ने ध्रुवीकरण करने की भी जमकर कोशिश की. बीजेपी ने मस्जिदों के इमामों और मुअज्जिनों को मिलने वाली सैलरी को बड़ा मुद्दा बनाया. बीजेपी ने केजरीवाल सरकार को घेरते हुए कहा कि इमामों की तरह ही मंदिरों के पुजारियों को भी सैलरी दी जाए.
बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा कि टैक्स के पैसे समाज के किसी एक धार्मिक वर्ग पर खर्च नहीं करने चाहिए. उस पर सभी धर्मों का बराबर अधिकार है. आम आदमी पार्टी की सरकार हिंदुओं के साथ भेदभाव करती है. इतना ही नहीं बीजेपी ने ताहिर हुसैन के बहाने आम आदमी पार्टी को घेरा, लेकिन यह दांव भी काम नहीं आ सका. आम आदमी पार्टी ने अपना चुनाव दिल्ली के साफ-सफाई और कूडे के ढेर को मुद्दा बनाया था. दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को दिल्ली की सत्ता से साथ-साथ एमसीडी की कमान भी सौंप दी है.