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MCD चुनाव में बीजेपी की 'पॉकेट इंजीनियरिंग', अलग-अलग राज्यों के लोगों को साधने की तैयारी

राजधानी के 14 जिलों के अलग-अलग पॉकेट में उत्तराखंड, हिमाचल, उड़ीसा, बंगाली, गुजराती, मराठी और राजस्थानी वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है. जैसे वसंत विहार में साउथ इंडियन की संख्या काफी ज्यादा है तो द्वारका के अलग-अलग पॉकेट में कर्नाटका के लोग रह रहे हैं.

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बीजेपी ने वोटरों को साधने के लिए अलग प्लान बनाया है
बीजेपी ने वोटरों को साधने के लिए अलग प्लान बनाया है

दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 के लिए बीजेपी ने टिकट बांटने में कास्ट इंजीनियरिंग दिखाई तो अब राजधानी में रहने वाले अलग-अलग राज्यों के लोगों को साधने के लिए पॉकेट इंजीनियरिंग का सहारा लिया है. राजधानी के 14 जिलों के अलग-अलग पॉकेट में उत्तराखंड, हिमाचल, उड़ीसा, बंगाली, गुजराती, मराठी और राजस्थानी वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है. जैसे वसंत विहार में साउथ इंडियन की संख्या काफी ज्यादा है तो द्वारका के अलग-अलग पॉकेट में कर्नाटका के लोग रह रहे हैं. 

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उदाहरण के तौर पर चितरंजन पार्क इलाका, जिसे मिनी बंगाल भी कहा जाता है. यहां बंगाली वोटरों की संख्या काफी अच्छी है. एमसीडी के चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाने वाले 40 फ़ीसदी पूर्वांचली वोटरों की तुलना में अलग-अलग भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा है. जो दिल्ली के अलग-अलग पॉकेट में बसे हैं. मुनिरका, सफदरजंग एनक्लेव और जेएनयू के आसपास के इलाकों में पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों की संख्या काफी ज्यादा है. यही वजह है कि बीजेपी में 'समाज सम्मेलन' के साथ ही 'भाषा सम्मेलन' भी आयोजित किया जा रहा है.

दिल्ली बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक कार्यकर्ताओं को एक्टिवेट करने के लिए आने वाली 20 दिसंबर को दिल्ली के 14 जिलों में रोड शो होगा. जिसमें दिल्ली के सांसद या केंद्रीय मंत्री शामिल हो सकते हैं, हालांकि अभी तक नाम तय नहीं है. दरअसल, अब तक दिल्ली के एमसीडी चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होता था. लेकिन आम आदमी पार्टी के आने के बाद कांग्रेस का मजबूत वोट बैंक झुग्गी-बस्ती, अनधिकृत कॉलोनी, अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाता आप की तरफ शिफ्ट हो गया है. वहीं भाजपा के परंपरागत वोट बैंक के तौर पर पंजाबी और वैश्य समुदाय में आम आदमी पार्टी सेंध लगा चुकी है.

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गौरतलब है कि दिवाली से पहले रामलीला मैदान में बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं, जिन्हें पंच परमेश्वर का नाम दिया गया, सम्मेलन कर भाजपा अपनी संगठनात्मक ताकत दिखा चुकी है. यही वजह है कि भाषाई सम्मेलन और समाज सम्मेलन के जरिए कार्यकर्ताओं और मतदाताओं में जोश भरकर उन्हें चुनाव प्रचार में उतारा जा रहा है. मंडल स्तर पर कई कार्यक्रम हो रहे हैं.

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