MCD चुनाव को लेकर सारी पार्टियों के बीच होड़ मच गई हैं. जहां आप और कांग्रेस टिकट देने को लेकर बीजेपी से आगे है, वहीं बीजेपी के मौजूदा पार्षदों को टिकट नहीं देने के फैसले से नेताओं में बेचैनी है. हालांकि सवाल यह है कि अगर किसी पार्षद ने अच्छा काम किया है और उस पर कोई दाग नहीं है, साथ ही जीतने की प्रबल संभावना है, तो फिर क्या टिकट काटना सही है?
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक पार्टी 155 में से स्पेशल 26 पार्षदों को टिकट दे सकती है. क्योंकि अंदरूनी रिपोर्ट के मुताबिक सर्वे में इन पार्षदों की रिपोर्ट कार्ड को काफी अच्छा माना गया है. वहीं इन पर भ्रष्टाचार का भी कोई आरोप नहीं है, जिसको लेकर बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने अपने स्पेशल 26 पार्षदों से मुलाकात भी की थी. इन पार्षदों से यह भी कहा गया है कि पार्टी उनके साथ अन्याय नहीं करेगी. दरसअल, बीजेपी ने यह ऐलान किया है कि वह मौजूदा पार्षदों को टिकट नहीं देगी. ऐसे में पार्टी यह कहते हुए यु-टर्न ले सकती है कि सभी के बारे में नहीं कहा गया था, बल्कि नए चेहरे को चुनाव में उतरने की बात कही गई थी.
सूत्रों के मुताबिक इस तरह का फार्मूला गुजरात के सूरत नगर निगम के चुनाव में भी अपनाया गया था, जिसमे सिर्फ 15 लोगों को टिकट मिला था. दूसरे पार्षदों के टिकट को काटकर नए चेहरे को मौका देकर सत्ता विरोधी लहर पर पार पाते हुए बीजेपी ने चुनाव जीता था. ऐसे में यह संभावना है कि एमसीडी के चुनाव में भी बीजेपी अपने स्पेशल 26 को टिकट दे सकती है. वैसे तो फिलहाल बंद कमरे में उन्हें यह कहा गया है कि पार्टी उन्हें विधानसभा चुनाव लड़वा सकती है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक ऐसा मुमकिन नहीं है. ऐसे में माना जा रहा है कि सूरत नगर निगम चुनाव के तर्ज पर दिल्ली बीजेपी अपने स्पेशल 26 को टिकट दे सकती है.