दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में होने वाले निकाय चुनाव को लेकर उम्मीदवारों ने कमर कस ली है. चाहे BJP हो, आम आदमी पार्टी या फिर कांग्रेस सभी ने चुनाव को लेकर चौतरफा तैयारियां शुरू कर दी हैं. सभी पार्टियां दिल्ली नगर निगम की 250 में से ज्यादा से ज्यादा सीट हालिस करना चाहती हैं.
अब तक चुनाव में उतरने वाले 2012 प्रत्याशी 2574 नामांकन दाखिल कर चुके हैं. बता दें कि एमसीडी चुनाव के लिए 4 दिसंबर को वोटिंग होगी. 7 दिसंबर को नतीजे आएंगे. चुनाव के लिए 7 नवंबर से नामांकन शुरू हो गए थे. 14 नवंबर नामांकन की आखिरी तारीख थी. अब नामांकन पत्र की 16 नवंबर तक स्क्रूटनी चलेगी. नामांकन पत्र वापसी की आखिरी तारीख 19 नवंबर है.
दरअसल, दिल्ली नगर निगम (MCD) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) पिछले 15 सालों से शासन कर रही है. पिछले एमसीडी चुनाव में (2017) भाजपा ने कुल वार्डों में से दो-तिहाई पर जीत हासिल की थी. 2017 में BJP ने न सिर्फ जीत की हैट्रिक बनाई, बल्कि 2017 में (181 सीट) 2012 (138 सीट) से भी ज्यादा अच्छा प्रदर्शन किया.
AAP कर रही डबल इंजन सरकार का वादा
आप स्वच्छता को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश करेगी. इसलिए केजरीवाल ने अपने एमसीडी चुनाव अभियान की शुरुआत गाजीपुर लैंडफिल साइट पर जाकर की थी. इसी तरह, कांग्रेस भी मतदाताओं को भ्रष्टाचार और अन्य संबंधित मुद्दों के बारे में याद दिलाने की योजना बना रही है, जो आप और भाजपा दोनों को टारगेट करेंगे. आप दिल्ली को जीतने की कोशिश कर रही है और दिल्ली के लिए 'डबल इंजन सरकार' का वादा कर रही है, लेकिन सब कुछ उम्मीदवार के चयन पर निर्भर करेगा. वार्ड जैसे छोटे से क्षेत्र में अच्छा उम्मीदवार चुनाव में निर्णायक साबित हो सकता है.
BJP कर रही सत्ता विरोधी लहर का सामना
2014 और 2019 के संसदीय चुनावों में आम आदमी पार्टी एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हो पाई थी. अभी, क्योंकि केजरीवाल और AAP गुजरात विधानसभा चुनावों में व्यस्त हैं, इसलिए पार्टी दिल्ली के स्थानीय निकाय चुनावों में ज्यादा समय नहीं दे पाएगी. इस बार AAP कुशासन को मुद्दा बनाकर भाजपा के खिलाफ बढ़त हासिल करने की कोशिश करेगी. भाजपा सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है.
वोट बैंक बरकरार रखने की चुनौती
AAP के सामने भी अपने वोटबैंक को बरकरार रखने की चुनौतियां हैं. दिलचस्प बात यह है कि एमसीडी चुनाव इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव के साथ मेल खा रहे हैं. आप के गुजरात में हिंदुत्व कार्ड खेलने के साथ, यह राष्ट्रीय राजधानी में उनके वोट को प्रभावित कर सकता है. AAP ने पिछले दो दिल्ली विधानसभा चुनावों में मुस्लिम और दलित वोट हासिल किए, जिससे पार्टी को दोनों बार व्यापक बहुमत हासिल करने में मदद मिली.