दिल्ली नगर निगम (MCD) के मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के छह सदस्यों का चुनाव 6 जनवरी को होना था. एमसीडी के मेयर, डिप्टी मेयर के चुनाव से पहले ही सदन में हंगामा हो गया. आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सदस्यों के बीच जमकर लात-घूसे चले और एक-दूसरे पर कुर्सियां फेंकी गईं. पार्षदों ने नगर निगम में तोड़फोड़ भी की. सदन में हुई तोड़फोड़ को लेकर अब एमसीडी प्रशासन कानूनी राय लेगा और इसके आधार पर आगे की कार्रवाई को लेकर फैसला लिया जाएगा.
एमसीडी की अगली बैठक किस तारीख को होगी? जनवरी के आखिर में या फिर सीधे मेयर का चुनाव 1 अप्रैल को ही होगा जब दिल्ली नगर निगम का अगला सत्र शुरू होगा. ये सब कुछ दिल्ली नगर निगम के एडमिनिस्ट्रेटर दिल्ली के उपराज्यपाल तय करेंगे. एमसीडी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पहले सदन के अंदर तोड़फोड़ से हुई क्षति को दुरूस्त किया जाएगा और इसके बाद ही अगले हफ्ते तक उपराज्यपाल (एलजी) को सदन की अगली बैठक बुलाने की तारीख को लेकर फैसला लेंगे.
दिल्ली नगर निगम के सूत्रों ने बताया है कि इस संबंध में अगले हफ्ते कभी भी एलजी को पत्र लिखा जा सकता है. दिल्ली नगर निगम से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मामले में पीठासीन अधिकारी की रिपोर्ट के साथ ही कानूनी राय भी ली जाएगी. ऐसा इसलिए, क्योंकि पीठासीन अधिकारी को पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है. नई दिल्ली जिले के जिलाधिकारी की ओर से शपथ दिलाए जाने के बाद पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा को पार्षद वाले सभी अधिकार और शक्तियां भले ही मिल गई हों लेकिन उनके पास पार्षदों पर कार्रवाई का अधिकार नहीं है.
सूत्रों का कहना है कि अगली बैठक में किसी भी तरह के हंगामे से बचने और सदन को चलाने के लिए दिल्ली के एडमिनिस्ट्रेटर यानी एलजी मार्शल आउट करने का प्रावधान भी ला सकते हैं. ऐसे में पीठासीन अधिकारी के कहने पर मार्शल हंगामा करने वाले पार्षदों को बाहर निकाल सकते हैं. दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक हंगामे के मामले में पीठासीन अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर पार्षदों को सदन की एक से तीन बैठक तक निलंबित करने का प्रावधान है. ऐसे में आम आदमी पार्टी और बीजेपी की नजर इस बात पर है कि एलजी इसे लेकर क्या एक्शन लेते हैं. एलजी आम आदमी पार्टी और बीजेपी, दोनों ही दलों के पार्षदों पर कार्रवाई करते हैं या फिर किसी एक पर.
पूरी नहीं हो सकी थी मनोनित पार्षदों की शपथ
सदन में हंगामे के बीच पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने मनोनित चार पार्षदों विनोद कुमार, लक्ष्मण आर्य, मुकेश कुमार और सुमित चौहान को शपथ तो दिला दी थी लेकिन वह पूरी नहीं हो सकी थी. हंगामें के कारण इनके सिग्नेचर नहीं हो सके थे. शपथ पूरी नहीं हो सकी थी, इसलिए इन पार्षदों को अभी अधिकार नहीं मिले हैं.
निलंबन हुआ तो क्या होगा
अगर हंगामे को लेकर पार्षदों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई होती है तो सदन का अंकगणित पूरी तरह बदल सकता है. पिछले महीने हुए एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी को 250 में से 134, बीजेपी को 105 और कांग्रेस को नौ, निर्दलीय को दो सीटें मिली थीं. मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के लिए आप के पास बहुमत है तो सबसे पावरफुल स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष के बनाने में जिन छह सदस्यों को सदन से चुना जाना है उस गेमप्लान में बीजेपी बढ़त बनाए हुए है. पार्षदों के निलंबन की स्थिति में बहुमत का गणित गड़बड़ा सकता है.