दिल्ली में डेंगू के बढ़ते मामलों के बाद एमसीडी अब डेंगू के लार्वा को खत्म करने के लिए इनवायरमेंटल फ्रैंडली तरीका अपना रही है. एमसीडी के मुताबिक पुराने तरीकों से स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और इसलिए एक ऐसा तरीका अपनाया जा रहा है जो पर्यावरण के अनुकूल हो.
एमसीडी ने डेंगू के लार्वा को खत्म करने की एक नई पहल की है. यमुना किनारे की झाड़ियों से एमसीडी ढूंढ-ढूंढ कर लार्वा जमा कर रही है. दरअसल दिल्ली में डेंगू के मामले 50 तक पहुंच चुके हैं औऱ अकेले जुलाई में ही 22 मामले सामने आने के बाद निगम हरकत में आई और यमुना किनारे बड़े पैमाने पर डेंगू के लार्वा के खात्मे के लिए अभियान चलाया. इस दौरान बड़े-बड़े जालों से नदी किनारे के पानी से लार्वा इकठ्ठा किए गए और फिर उन्हें दूसरी जगह पर ले जाकर दफनाया गया.
एक नाव पर सवार होकर एमसीडी के टीम यमुना किनारे लार्वा को पहले नदी किनारे से जाल के जरिए उठाती है और फिर उसके बाद उन्हें ड्रम में डालकर पहले से बने गड्ढे में डाल दिया जाता है.
गौरतलब है कि यमुना किनारे भारी तादाद में उगी झाड़ियों के नीचे मच्छर अंडे देते हैं, जिसके बाद वातावरण में उमस बढ़ने के साथ ही इन अंडों से मच्छर बन पूरी दिल्ली में डेंगू की दहशत फैल जाती है और यही वजह है कि एमसीडी की टीम यमुना में जाकर लार्वा को पकड़ रही है. ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि नदी में पनप रहे लार्वा को मारने के लिए यदि केमिकल का प्रयोग किया जाता है तो वो नदी में पनप रही छोटी मछलियों के लिए घातक साबित हो सकते हैं.
आपको बता दें कि दिल्ली में अबतक डेंगू के कुल 50 मामले सामने आ चुके हैं जिसके बाद तीनों एमसीडी ने यमुना नदी के किनारों पर इसी तरह का अभियान चलाया था ताकि लाखों-करोड़ों की तादाद में पनप रहे लार्वा का मच्छर बनने से पहले ही खात्मा किया जा सके.