दिल्ली देश की राजधानी तो है लेकिन यहां सबकुछ अजब गजब है. जहां चारों ओर डेंगू और तमाम बीमारियां फैली हैं. गली से लेकर घर के आसपास कोई सफाई करने वाला नजर नहीं आता वहां अब जिंदगी में और परेशानियों के लिए तैयार हो जाएं, क्योंकि नगर निगम दफ्तर में बैठे नेताओं को आपके काम करने वाले बेलदार और माली नहीं चाहिए, बल्कि अपने लिए चपरासी चाहिए.
दरअसल दिल्ली की तीन एमसीडी में से एक पूर्वी दिल्ली नगर निगम आर्थिक तंगी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. समय के साथ कर्मचारी रिटायर हो गए हैं और नगर निगम के पास इतना पैसा है नहीं कि नए कर्मचारियों की भर्ती की जाए. ऐसे में निगम ने एक नया रास्ता निकाला है और वो है कैडर के बदलाव का.
क्या है प्रस्ताव
8 सितंबर को हुई पूर्वी दिल्ली नगर निगम की स्थाई समिति में ये प्रस्ताव लाया गया कि निगम सचिव दफ्तर में काम बहुत ज्यादा है. ऐसे में फाइल ढोने से लेकर, बाकी दिन प्रति दिन के कामकाज के लिए उन्हें एक विशेष व्यवस्था करनी पड़ रही है. यानी जो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी अबतक माली या फिर बेलदार के पदों पर नियुक्त हैं उनका कैडर बदल कर अनुचर या फिर सामान्य बोलचाल की भाषा में चपरासी बना दिया जाए ताकि दफ्तर का काम प्रभावित न हो.
फिलहाल ये प्रस्ताव एक दफ्तर के लिए जरूर हो, लेकिन ये दिल्ली में कामकाज के लिहाज से एक नया ट्रेंड शुरू कर सकता है. वैसे ही देश की राजधानी में सिविक सेवाओं की हालत खस्ता है, और ऐसे में पार्क और साफ सफाई के लिए जिन कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है अगर उन्हें अधिकारी अपने दफ्तर में काम पर लगा लेंगे, तो हालात बद से बदतर ही होंगे.