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MCD में फूल बने कांटे! सजावट पर फूंके लाखों

किसी भी दफ्तर में ताजा फूलों का गुलदस्ता जाहिर तौर पर खुशनुमा एहसास कराता है, लेकिन यही ताजे फूल इन दिनों एमसीडी में विवाद की वजह बने हुए हैं.

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एमसीडी सिविक सेंटर
एमसीडी सिविक सेंटर

किसी भी दफ्तर में ताजा फूलों का गुलदस्ता जाहिर तौर पर खुशनुमा एहसास कराता है, लेकिन यही ताजे फूल इन दिनों एमसीडी में विवाद की वजह बने हुए हैं. दरअसल, एमसीडी में नेताओं और सीनियर अफसरों के दफ्तरों के लिए रोजाना ताजे फूल मंगाए जाते हैं. लेकिन, इन पर होने वाले खर्च ने नया विवाद खड़ा कर दिया है. एमसीडी से मिले आंकड़ों के मुताबिक साउथ और नॉर्थ एमसीडी में अप्रैल 2013 से लेकर दिसंबर 2013 तक फूलों और गुलदस्तों से सजावट पर लाखों रुपए फूंक दिए हैं जिसे लेकर विपक्ष ने निशाना साधा है. नॉर्थ एमसीडी में विपक्ष के नेता मुकेश गोयल का आरोप है कि जब एमसीडी के पास खुद की नर्सरी और माली हैं तो फिर बाहर से फूल लाकर फिजूलखर्ची क्यों की जा रही है.

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एमसीडी से मिले आंकड़ों के मुताबिक साउथ एमसीडी में सालभर में 30 लाख रुपए से अधिक की राशि नगर निगम दक्षिणी में सिर्फ नेताओं और अफसरों की टेबल पर फूल सजाने में ही खर्च हो गई. इसी तरह नॉर्थ एमसीडी में पिछले नौ महीनों में 5 लाख 60 हजार रुपए से ज्‍यादा के फूल सजावट के लिए खरीदे जा चुके हैं. 'आज तक' के पास उस दस्तावेज की कॉपी भी है जिसके मुताबिक नॉर्थ एमसीडी में हर महीने फूलों से सजावट पर 50 हजार रुपए से लेकर 86 हजार रुपए तक फूंक दिए गए.

दूसरी ओर, निगम की सत्ता पर काबिज बीजेपी ने इसे मुद्दा मानने से ही इंकार कर दिया है. साउथ एमसीडी में स्थाई समिति अध्यक्ष सतीश उपाध्याय के मुताबिक जहां फूलों की जरूरत है, फूल सिर्फ वहीं लगवाए जाते हैं क्योंकि नेताओं और अधिकारियों से मिलने कई लोग पहुंचते हैं. ऐसे में ऑफिस की सुंदरता का भी ध्यान रखना जरूरी है.

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गौरतलब कि एमसीडी के पास खुद की कई नर्सरी और कर्मचारियों की भारी भरकम फौज है मगर अधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं की टेबल पर सजाने के लिए गुलदस्ते बाहर से खरीदे जाते हैं और इसी वजह से निगम पर हर साल लाखों रुपये का बोझ पड़ रहा है.

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