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MCD चुनाव: दिल्ली में कूड़े और गंदगी का रिएलिटी चेक

दिल्ली के नगर निगम चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां वादों की झड़ी लगा रही हैं. वोटरों को ऐसे सपने दिखाए जा रहे हैं, मानो दिल्ली निगम चुनाव के बाद शंघाई बन जाएगी. शायद पहली बार होगा जब किसी नगर निगम चुनाव की राजनीति एक लोकसभा चुनाव के राजनीतिक मुद्दों पर होती दिख रही है.

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निगमों की पहली और सबसे बड़ी जिम्मेदारी शहर को साफ रखना होता है
निगमों की पहली और सबसे बड़ी जिम्मेदारी शहर को साफ रखना होता है

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दिल्ली के नगर निगम चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां वादों की झड़ी लगा रही हैं. वोटरों को ऐसे सपने दिखाए जा रहे हैं, मानो दिल्ली निगम चुनाव के बाद शंघाई बन जाएगी. शायद पहली बार होगा जब किसी नगर निगम चुनाव की राजनीति एक लोकसभा चुनाव के राजनीतिक मुद्दों पर होती दिख रही है.

हालांकि जमीनी हकीकत यही है कि किसी भी राज्य में निगमों की पहली और सबसे बड़ी जिम्मेदारी है शहर को साफ रखना. दिल्ली में अलग-अलग काम की जिम्मेदारी कई एजेंसियों पर है, जिसके चलते अक्सर विवाद खड़े होते हैं और इसी वजह से एक एजेंसी अपने काम का ठीकरा दूसरे के सर फोड़ती रहती हैं.

दूसरे नगर निगमों की तरह ही दिल्ली में भी नगर निगम की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है राजधानी को साफ रखना कूड़ा कचरा हटाना और शहर को बीमारियों से बचाना. पिछले 10 साल से भी ज्यादा समय तक भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली के नगर निगम पर शासन किया. अब चुनाव सर पर है इसलिए बीजेपी फिर सपने दिखा रही है, लेकिन जमीन पर पिछले 10 सालों में साफ सफाई की पोल हो तस्वीरें खोल रही हैं, जिसमें सड़क पर फैला कूड़ा दिल्ली को बीमारियों का अड्डा बना रहा है.

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केंद्र में बीजेपी की सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया, लेकिन हमारे रियलिटी चेक में यही बात निकल कर आई कि बीजेपी शासित नगर निगम ने दिल्ली को कूड़े का ढेर बना दिया है.

निगम की साफ-सफाई की दावों की पड़ताल करने के लिए हमने रियलिटी चेक की शुरुआत पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार फेस वन से की. यहां सड़क पर बिखरा कूड़ा, बदबू और मक्खियों से भरा हुआ मिला.

साफ सफाई के रियलिटी चेक के लिए दूसरा पड़ाव था मयूर विहार के पास चिल्ला गांव. स्थानीय निवासी राजवीर सिंह कहते हैं सफाई नहीं होती और इस कूड़े के चलते लोगों का जीना मुश्किल है. शिकायत करें भी तो करें किससे कोई सुनवाई ही नहीं होती.

दिल्ली में सफाई की हकीकत जानने के लिए इसके बाद आजतक की टीम पहुंची कल्याण पुरी. दो तिहाई दिल्ली की गरीब जनता की तरह यहां बड़ी कोठियां नहीं हैं, लेकिन एक बड़ी आबादी है जो हर चुनाव में राजनीतिक दलों के लिए वोट बैंक तो बनती है, लेकिन उनकी जरूरत पर सुनने वाला कोई नहीं होता. नगर निगम से कितनी शिकायतें हैं, लेकिन निगम के कानों पर जूं भी नहीं रेंगती. इन गलियों में कूड़ा-कचरा मच्छर मक्खियां और बदबू आसपास के लोगों के लिए रोज की बात है.

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इलाके के लोग इस गंदगी की वजह से काफी नाराज हैं. न इन्हें पता है कि शिकायत कैसे करें, ना निगम ने कभी इनकी सुध ली. खानापूर्ति के नाम पर ऊपर का कूड़ा उठा लिया जाता है और नीचे का कूड़ा कल्याण पुरी के लोगों की किस्मत बन जाता है.

रियल्टी चेक के लिए अगला पड़ाव था कल्याण पुरी में निगम का ढलाव घर. पीछे कि रिहाइशी इलाके में जाने वाली सड़क कूड़े के ढेर में दबी थी. कैमरा देखा तो उम्मीदें लगाएं लोग शिकायतें लेकर आ गए. वही पुरानी शिकायत किन निगम में सुनवाई नहीं होती. लोगों की शिकायत थी कि इस कूड़े के चलते बीमारियों ने लोगों को घेर रखा है.

बात करते समय ही निगम का एक कर्मचारी भी सामने आया, जो खुद निगम की ही अनदेखी का शिकार हो गया है. हाल ही में मच्छरों के पहले प्रकोप से चिकनगुनिया हो गया. वह भी यह मानते दिखे कि नगर निगम में सुनवाई नहीं होती, जिसके चलते दिल्ली कूड़े का ढेर बनी है.

दिल्ली की तीनों ही पार्टियां जोर शोर से प्रचार कर रही हैं. कल्याण पुरी से निगम पार्षद के लिए बीजेपी के उम्मीदवार मनोज मेहरा का कार्यालय तो नगर निगम के कूड़े की एक ढलाव के ठीक सामने है. जब इनसे सवाल पूछा कि साफ सफाई क्यों नहीं है, तो नेताजी का पहला जवाब था कि रविवार की छुट्टी है और सफाई कर्मचारी नहीं आए. उनसे जब पूछा कि अगर बीजेपी फिर निगम की सत्ता में आई तो आगे तस्वीर कैसे बदलेगी, तो नेताजी ने कहा प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया है कि आप ऐसा सीधा निगमों को दिया जाएगा.

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