कर्नाटक के बाद अब दिल्ली में मीट की दुकानों पर बवाल शुरू हो गया है. साउथ दिल्ली के बाद ईस्ट दिल्ली में नवरात्र के दौरान मीट की दुकानें बंद रखने की बात कही जा रही है.
इस बीच ईस्ट दिल्ली के मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल की सफाई सामने आई है. उन्होंने मंगलवार को कहा है कि अभी तक यह सिर्फ एक अपील है. नवरात्र के दौरान हम लोग प्याज-लहसुन भी नहीं खाते हैं. इसलिए मैंने सभी मीट विक्रेताओं से अपील की है कि वे हिंदू भाव को समझें और इन दिनों में अपनी दुकान को बंद रखें. मैं सद्भाव को बढ़ावा देता हूं. इससे पहले पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल ने मांग की थी कि "मांस की दुकानों को बंद करने से हमें इस त्योहार के दौरान खुशी मिलेगी.
श्याम सुंदर अग्रवाल ने आगे कहा कि हमारा नियम है कि सप्तमी, अष्टमी और नवरात्रि के दिन स्लाटर हाउस बंद रहेंगे. इसके लिए हमने आज बैठक भी बुलाई है। इसका सख़्ती से पालन कराया जाएगा.
इससे पहले साउथ दिल्ली नगर निगम ने सोमवार को दिल्ली में मांस की दुकानें नवरात्रि के दौरान बंद रहनी चाहिए. नवरात्रि के 9 दिनों में भक्त मांस और कुछ मसाले खाने से बचते हैं. उन्होंने कहा था कि नवरात्रि के दौरान लोग मंदिर जाते हैं. भगवान के प्रति अपनी आस्था जाहिर करते हैं और अपने परिवार के लिए मन्नतें मांगते हैं. इस दौरान लोग खाने में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल करने से भी बचते हैं. ऐसे में खुले तौर पर मंदिर के पास मीट बिकने पर उन्हें असुविधा हो सकती है.
कर्नाटक में छिड़ा हलाल मीट पर विवाद
वहीं, कर्नाटक में हिजाब विवाद के बाद अब हलाल मीट (halal meat) को लेकर लोग आमने-सामने हो गए हैं. यह विवाद गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) मतलब हिंदू नववर्ष के त्योहार से पहले शुरू हुआ और अबतक जारी है. इस मसले में आग में घी डालने का काम किया एक सरकारी आदेश ने जिसमें मीट की दुकानों को लेकर कुछ निर्देश दिए गए थे.
दरअसल, कर्नाटक पशुपालन विभाग ने बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) को 1 अप्रैल 2022 को एक पत्र लिखा था. इसमें कहा गया था कि शहर में जितने भी बूचड़खाने और मुर्गे की दुकानें हैं उन सभी पर जानवरों को बिजली का करंट (electric shock ) देने की सुविधा होनी चाहिए. ऐसा हलाल मीट का प्रचलन कम करने के लिए किया गया था.
पशुपालन विभाग ने अपने ऑर्डर में यह भी कहा था कि मीट शॉप को लाइसेंस देने से पहले देखना होगा कि वहां इलेक्ट्रिक शॉक की व्यवस्था है या नहीं. विभाग ने अपने ऑर्डर में कहा था कि उसके पास कुछ ऐसी शिकायतें आई हैं जिसमें जानवरों की जान सही से नहीं ली जा रही है. सरकारी आदेश के मुताबिक, जानवर को पहले बिजली का झटका दिया जाना चाहिए, उसके बाद जब जानवर बेहोश हो जाए तो उसके बाद जानवर की जान ली जानी चाहिए.
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