नोटबंदी का असर एशिया के सबसे बड़े दवा बाजार पर भी पड़ा है. थोक विक्रेताओं के मुताबिक दिल्ली 6 के बाजार पूरी तरह कैश पर आधारित हैं ऐसे में कैश की कमी से दवा कारोबारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. पुरानी दिल्ली के भागीरथी पैलेस में दवाइयों और सर्जिकल सामान का सबसे बड़ा बाजार है. नोटबंदी से पहले करीब एक हज़ार से ज्यादा दवा दुकानों में रोजाना लाखों का कारोबार होता था. लेकिन नोटबंदी के बाद इस बाजार में व्यापार की रफ्तार ठहर सी गई है, दवा विक्रेता खाली बैठे हैं. लाखों की दवाइयां और सर्जिकल सामान बेचने वाले विक्रेताओं के मुताबिक नोटबंदी के बाद से दवा बाजार में लगभग 70 फीसदी कारोबार ठप हो गया है.
करेंसी की कमी के कारण नहीं मिल रहा ऑर्डर
दिल्ली ड्रग्स ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव आशीष ग्रोवर के मुताबिक भागीरथी पैलेस के थोक बाजार में दवा खरीदने के लिए देश भर से व्यापारी आते हैं. ऐसे में छोटे व्यापारियों को न सिर्फ दवा खरीदने के लिए नई करेंसी चाहिए बल्कि एक शहर से दूसरे शहर तक आर्डर ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट पर भी खर्च करना पड़ता है. ऐसे में नई करेंसी की कमी की वजह से थोक विक्रेताओं को बड़े आर्डर नहीं मिल रहे हैं और जो थोड़े बहुत खरीददार आ भी रहे है वो भी जितनी दवाइयां खरीदा करते थे उसका 10 फीसदी ही खरीददारी कर रहे हैं.
थोक से लेकर खुदरा दवा विक्रेताओं ने पेटीएम का भी सहारा लिया है ताकि कैश क्रंच से निपटा जा सके लेकिन विक्रेताओं की माने तो 5 फीसदी लोग ही इनका इस्तेमाल कर रहे हैं. पुरानी दिल्ली के थोक बाजार में व्यापार के लिए कैश का ही इस्तेमाल होता है. स्वाइप मशीन या नेट बैंकिंग का सिस्टम अभी भी दिल्ली 6 के बाजार में ना के बराबर है ऐसे में नोटबंदी के बाद न सिर्फ दवा बाजार बल्कि पुरानी दिल्ली के सभी थोक व्यापार मंदी के दौर से गुजर रहे हैं.