करावल नगर सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक और दिल्ली जल बोर्ड के वाइस चेयरमैन कपिल मिश्रा दिल्ली के नए कानून मंत्री होंगे. 34 साल के कपिल का अब तक का राजनीतिक सफर बेहद दिलचस्प रहा है.
8 साल पहले 'यमुना सत्याग्रह' के पक्ष में जब वह दिल्ली विधानसभा की दर्शक दीर्घा से 'यमुना बचाओ' के नारे लगा रहे थे, तब मार्शलों ने उन्हें पकड़कर बाहर कर दिया था. वक्त ने ऐसी करवट ली है कि उसी विधानसभा में अब वह कानून मंत्री की हैसियत से बैठेंगे.
यह बात कम लोग जानते हैं कि कपिल मिश्रा ईस्ट एमसीडी से बीजेपी की मेयर रह चुकीं अन्नपूर्णा मिश्रा के बेटे हैं. लेकिन नौजवान कपिल ने राजनीतिक विचारों की दूसरी धारा चुनी. अब उनकी निष्ठा आम आदमी पार्टी को समर्पित है और वह अरविंद केजरीवाल के चहेते विधायकों में गिने जाते हैं.
कपिल मिश्रा केजरीवाल के साथ उनके एनजीओ 'परिवर्तन' के साथ-साथ अन्ना आंदोलन मे भी काम कर चुके है. योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण के खिलाफ पार्टी के भीतर जो कैंपेन चला, उसमें कपिल की बड़ी अहम भूमिका थी. दोनों नेताओं को नेशनल एग्जीक्यूटिव से बाहर करने का फैसला जिस विवादित बैठक में लिया गया, उस बैठक के लिए कपिल अपने समर्थकों की भारी भीड़ लेकर पहुंचे थे. अंदर बैठक में प्रशांत-योगेंद्र की फजीहत होती रही और बाहर कपिल के समर्थक 'गद्दारों को बाहर करो' जैसे बैनर लेकर नारेबाजी करते रहे.
मुख्य धारा की राजनीति में आने से पहले कपिल 'यूथ ऑफ जस्टिस' नाम के संगठन के को-फाउंडर रहे. इस संगठन की ओर से उन्होंने जेसिका लाल मर्डर केस से लेकर किसानों की समस्याओं के मुद्दों पर कई विरोध प्रदर्शन किए. उन्होंने कॉमनवेल्थ खेलों मे डेवलपमेंट के नाम पर हो रहे गड़बड़झालों पर 'इट्स कॉमन वर्सेज वेल्थ' नाम की किताब भी लिखी. कपिल के पास एमनेस्टी इंटरनेशनल और ग्रीनपीस जैसे अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ में काम करने का अनुभव भी है.
कपिल मिश्रा का कानून की विधा से कोई सीधा नाता नहीं है. उन्होंने दिल्ली के दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क से मास्टर्स किया है. 2013 के दिल्ली चुनावों में जब AAP को 28 सीटें मिली थीं, कपिल मिश्रा करावल नगर सीट से चुनाव हार गए थे. लेकिन 2015 के चुनाव में उन्होंने चार बार से लगातार जीत रहे बीजेपी के मोहन सिंह को 40 हजार से भी ज्यादा वोटों से पटककर सबको चौंका दिया.
23 फरवरी को शपथ ग्रहण समरोह में कपिल इकलौते विधायक थे जिन्होंने अपनी शपथ संस्कृत मे ली थी. इनका मानना है कि देश मे संस्कृत की जड़ें काफी गहरी हैं. कपिल मिश्रा का परिवार मूलतः उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से ताल्लुक रखता है और वह अपने परिवार के साथ दिल्ली के यमुना विहार इलाके में रहते है.