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बढ़े किराये पर फूटा मुसाफिरों का गुस्सा, बोले- पैर रखने को जगह नहीं, मेट्रो घाटे में कैसे

वंदना ने बताया कि उनका किराया 30 रुपये से बढ़कर 40 रुपये हो गया है. वापसी में भी यही किराया चुकाने पर उन्हें अब रोज़ 80 रूपये खर्च करने पड़ेंगे, जिससे सिर्फ मेट्रो में सफर से ही उनपर 2400 रुपये अतिरिक्त खर्च पड़ेगा.

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किराया बढ़ने से यात्री नाराज
किराया बढ़ने से यात्री नाराज

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दिल्ली मेट्रो में सफर करना मंगलवार से और महंगा हो गया है. जैसा कि डीएमआरसी ने घोषणा की थी उसी के मुताबिक किराया बढ़ाया गया है. किराया बढ़ने के पहले दिन लोग सरकार के इस फैसले से खासे नाराज दिखे. मेट्रो में सफर करने वाले मुसाफिरों का कहना था कि सुविधाएं हैं नहीं और किराया दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है.  

मंगलवार सुबह की पहली मेट्रो चलते ही 'आजतक' की टीम ने मेट्रो में सवार मुसाफिरों से बात की. रोज़ाना नोएडा से कीर्ति नगर जाने वाली वंदना ने बताया कि उनका किराया 30 रुपये से बढ़कर 40 रुपये हो गया है. वापसी में भी यही किराया चुकाने पर उन्हें अब रोज़ 80 रूपये खर्च करने पड़ेंगे, जिससे सिर्फ मेट्रो में सफर से ही उनपर 2400 रुपये अतिरिक्त खर्च पड़ेगा. वंदना अब कोशिश कर रही है कि वो सुबह 8 बजे से पहले को ही मेट्रो पकड़ सकें जिससे कि किराया थोड़ा कम लगे.  

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वंदना अकेली ऐसी मुसाफिर नहीं हैं जो बढ़े किराये से परेशान हैं. राजीव चौक मेट्रो स्टेशन से बाहर आये सौरभ से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि वो एक छात्र है और हनुमान रोड स्थित एक इंस्टिट्यूट में पढ़ाई करते हैं. सोमवार तक उसे एक तरफ के सफर में 12 रुपये चुकाने पड़ रहे थे लेकिन मंगलवार को 16 रुपये देने पड़े. सौरभ के मुताबिक पॉकेट मनी इतनी नहीं कि वो बढ़ा किराया झेल सके इसलिए अब वो बस से सफर करने पर विचार कर रहे हैं.

मेट्रो से रोज दफ्तर जाने वाले एक यात्री ने बताया कि किराये में बढ़ोतरी के लिए घाटे को वजह बताया जा रहा है लेकिन यहां पैर रखने की जगह नहीं हो घाटा कैसे हो रहा है. उन्होंने कहा कि सुविधाएं नहीं बढ़ रहीं लेकिन किराया लगातार बढ़ता जा रहा है.

ऑटो वाले भी परेशान

मेट्रो का किराया बढ़ना कुछ ऑटो वालों के लिए भी मुसीबत लेकर आया. राजीव चौक स्टेशन के बाहर रोज़ाना दफ्तर जाने वालों की भीड़ होती है जो यहां मेट्रो से उतर कर ऑटो से अपने दफ्तर जाते हैं लेकिन मंगलवार को काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी ऑटो वालों को सवारी नहीं मिल रही थी. ऑटो वालों का कहना है कि जो मुसाफिर 30-40 रुपए हमें देते थे अब वह पहले से ही बढ़े हुए मेट्रो किराये में खर्च कर रहे हैं.

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