अधिकारों की जंग के बीच गृह मंत्रालय दिल्ली पुलिस आयुक्त को कोर्ट में चल रहे मामलों में दिल्ली सरकार से मंजूरी लिए बिना अपील दायर करने और सरकारी वकीलों की नियुक्ति करने का अधिकार देने पर विचार
कर रही है. ऐसा हुआ तो दिल्ली सरकार के कुछ अधिकार और छिन जाएंगे.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अगर ऐसा हुआ तो हाई कोर्ट में चल रहे किसी मामले में अपील दायर करने या न करने और सरकारी वकील की नियुक्ति करने संबंधी फैसले लेने में दिल्ली सरकार की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो जाएगी. दिलचस्प बात यह है कि 27 मई को दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में मुकदमा चलाने, अपील करने या अन्य कार्रवाइयों के लिए आठ अधिवक्ताओं को अतिरिक्त स्थायी वकील (आपराधिक) नियुक्त किया है. ये आठ अधिवक्ता अवनीन्द्र सिंह, कामना वोहरा, राजेश महाजन, संजय लाओ, आशीष अग्रवाल, रिचा कपूर, रणबीर सिंह कुंडू और नंदिता राव हैं.
दिल्ली सरकार से लेनी होती है अनुमति
वर्तमान में दिल्ली पुलिस को कोई अपील दायर करनी हो या सरकारी वकील की नियुक्ति करनी हो तो उसे दिल्ली सरकार के गृह विभाग से परामर्श करना होता है. गृह विभाग मामले की गुणवत्ता
पर विचार करने के बाद यह निर्णय करता है कि अपील दायर की जानी है या नहीं और फिर आगे की कार्रवाई के लिए वह इसे उप राज्यपाल के पास भेजता है.
इस कदम के पीछे तर्क यह है कि चूंकि दिल्ली पुलिस गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करती है इसलिए उसे दो मामलों में सीबीआई और एनआईए की तरह ही अधिकार होने चाहिए. सीबीआई और एनआईए सरकारी वकीलों के नामों का प्रस्ताव करते हैं और केंद्र सरकार अंतिम निर्णय करती है.
सूत्रों ने बताया कि पुलिस और कानून व्यवस्था दिल्ली सरकार के अंतर्गत नहीं आते इसलिए इन दो विषयों से जुड़े मुद्दे दिल्ली सरकार के पास भेजने का कोई कारण नहीं होना चाहिए. योजना के अनुसार, उप राज्यपाल को गृह मंत्रालय की ओर से आदेश देने के लिए अंतिम प्राधिकारी बनाया जा सकता है.
- इनपुट भाषा