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दिल्ली: वो ढलाव घर, जहां जाने से कतराते थे लोग, अब वहां पढ़ने के लिए मिलेंगी किताबें 

एसडीएमसी के 4 जोन में से करीब 125 को इस बाबत चुना गया है. कुल 978 ढलाव घर हैं. कई एनजीओ को भी इससे जोड़ा जाएगा. ढलाव घर कूड़े की ऐसी वो जगहें हैं, जिनका कई सालों से इस्तेमाल नहीं हो रहा है. ऐसे में इनका विकास किया जाएगा.  

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ढलाव घरों पर बनाई जाएगी मिनी लाइब्रेरी
ढलाव घरों पर बनाई जाएगी मिनी लाइब्रेरी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पॉश इलाकों के 125 ढलाव घर किए गए चिह्नित
  • इन ढलाव घरों पर बनाई जाएगी मिनी लाइब्रेरी
  • बुजुर्गों के लिए रीक्रिएशन सेंटर बनाने की भी योजना

दिल्ली में नेकी की दीवार जिस तरह जरूरतमंदों की मदद का सहारा बनी हुई हैं, उसी तरह अब ढलाव घरों का प्रयोग करके बुजुर्गों और किताब पढ़ने वाले लोगों की जरूरत और इच्छाओं को पूरा किया जाएगा. निगमों का उन रास्तों पर खास ध्यान रहा जिन रास्तों से लोग निकलने से कतराते थे. नेकी की दीवार, वॉल पेंटिंग्स के जरिए न सिर्फ इन इलाकों की सुंदरता में चार चांद लगे, बल्कि स्वच्छता की एक मिसाल भी कायम की गई. 

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पंचकुइयां रोड श्मशान घाट से सटी दीवारों से जहां लोग दिन के वक्त भी जाने में कतरा रहे थे, अब वहीं नेकी की दीवार गरीब, मजलूम और असहायों के लिए सहारा बन गई है. नॉर्थ एमसीडी ने पंचकुइयां रोड ही नहीं पूसा रोड पर भी नेकी की दीवार बनाई हैं. साउथ एमसीडी ने करीब 300 जगहों पर ऐसी दीवार बनाई हैं.  

साउथ एमसीडी में नेता सदन नरेंद्र चावला ने बताया कि मोबाइल गारबेज कलेक्शन की वजह से पॉश इलाकों में ढलाव घरों का इस्तेमाल अब बंद हो गया है. ऐसे में अब ये ढलाव घर लाइब्रेरी और बुजुर्गों के लिए रीक्रिएशन सेंटर बनाने के काम में आएंगे. उन्होंने बताया कि पहले फेज में 125 ढलाव घरों पर काम चल रहा है. इसके लिए करीब 13 करोड़ का बजट जारी हुए है. एक साइट के हिस्से में करीब 10 लाख रुपये का खर्चा आएगा. 

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उन्होंने बताया कि एसडीएमसी के 4 जोन में से करीब 125 को इस बाबत चुना गया है. कुल 978 ढलाव घर हैं. कई एनजीओ को भी इससे जोड़ा जाएगा. ढलाव घर कूड़े की ऐसी वो जगहें हैं, जिनका कई सालों से इस्तेमाल नहीं हो रहा है. ऐसे में इनका विकास किया जाएगा.  

 
 

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