दिल्ली सरकार ने केंद्र से मिलने वाली वित्तीय मदद पर पिछले 20 साल के आंकड़े जारी किए हैं. सरकार ने बयान जारी कर कहा है कि 14वें सेंट्रल फाइनेंस कमिशन (2015-2020) में जहां बाकी राज्यों के नगर निगमों के लिए 28,7436 करोड़ रुपये तय किए गए हैं, वहीं दिल्ली को एक भी पैसा नहीं दिया जा रहा है.
सरकार ने आंकड़ों को जारी करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों में ही ईस्ट एमसीडी को 770 करोड़ रुपये दे दिए लेकिन फिर भी कर्मचारियों को सैलरी नहीं दी जा रही है.
दिल्ली सरकार के मुताबिक 2001-02 से सेंट्रल टैक्सेस में स्टेट शेयर के रूप में दिल्ली को 325 करोड़ रुपये ही मिलते आ रहे हैं. इस बार भी सेंट्रल टैक्सेस में दिल्ली के शेयर में एक रुपये की भी बढ़ोतरी नहीं की गई है. दिल्ली सरकार ने सेंट्रल टैक्सेज और टैक्सेज में दिल्ली के हिस्से में बढ़ोतरी की मांग की थी लेकिन केंद्र सरकार ने इस मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया.
दिल्ली ने केंद्र को 1 लाख 8 हजार करोड़ का टैक्स दिया
इसके अलावा दिल्ली सरकार की ओर से यह आरोप लगाया गया कि राज्य की ओर से केंद्र सरकार को 1 लाख 8 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का टैक्स दिया जाता है. वहीं दिल्ली को केवल 325 करोड़ रुपये ही दिए जा रहे हैं. दिल्ली सरकार ने चौथे दिल्ली फाइनेंस कमिशन की सिफारिशों को लागू करने की मांग की थी लेकिन इस मांग को भी नहीं माना जा रहा है. चौथे दिल्ली फाइनेंस कमिशन ने केंद्र, दिल्ली और एमसीडी को लेकर अहम सिफारिशें की हैं, जिससे राज्य को उसका हक मिलता.
इसके अलावा सफाई कमर्चारियों की हड़ताल से उठे सवालों का जवाब भी सरकार ने दिया है. आम आदमी पार्टी सरकार के मुताबिक दिल्ली सरकार ने एमसीडी को पहले की तुलना में कहीं ज्यादा पैसा दिया है लेकिन केंद्र की ओर से एमसीडी को पैसा नहीं दिया जा रहा है. सरकार ने सवाल उठाया है कि आखिर केंद्र सरकार दिल्ली के नगर निगमों को पैसा क्यों नहीं दे रहा है.
सेंट्रल फाइनेंस कमिशन ने नगर निगमों के लिए जो फॉर्म्युला फिक्स किया है, उसमें प्रति व्यक्ति 488 करोड़ रुपये के हिसाब से दिया जाना है. सेंट्रल फाइनेंस कमिशन में हरियाणा के लिए 5963 करोड़, कर्नाटक के लिए 15145 करोड़, पंजाब के लिए 6544 करोड़ रुपये तय किए गए हैं लेकिन दिल्ली के लिए एक भी पैसा नहीं रखा गया है.
नगर निगमों को 4087 करोड़ रुपये मिलना चाहिए
आम आदमी पार्टी सरकार की मांग है कि दिल्ली की जनसंख्या के हिसाब से नगर निगमों को केंद्र सरकार से 4087 करोड़ रुपये मिलना चाहिए. दिल्ली सरकार ने कहा है कि 2008-09 में दिल्ली का बजट 7575 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 53,000 करोड़ रुपये हो गया है. दिल्ली सरकार ने एजुकेशन, हेल्थ समेत तमाम इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए हैं और अपने संसाधनों से विकास कार्य किए हैं. लेकिन केंद्र की ओर से दिल्ली को मदद नहीं दी जा रही है. राज्य के लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है. चौथे वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक केंद्र को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए ताकि दिल्ली के नगर निगमों की हालत में सुधार हो सके.