मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति को देश भर में निचले और ग्रामीण स्तर तक पहुंचाने के लिहाज से एक बड़ी पहल कर रही है. खासकर मधुमेह और मोटापे जैसी गैर-संक्रामक बीमारियों पर नियंत्रण के लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण हो सकता है.
दरअसल, केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने कहा है कि देश भर में खोले जा रहे सभी आरोग्य केंद्रों में एलोपैथिक डॉक्टरों के साथ ही अब आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक आदि पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के डॉक्टर भी उपलब्ध कराए जाएंगे.
वर्ष 2016 में देश के तीन राज्यों के तीन जिलों में पायलट परियोजना के तहत आयुष डॉक्टरों की नियुक्ति की गई थी. इनमें राजस्थान का भीलवाड़ा, गुजरात का सुरेंद्रनगर और बिहार का गया जिला शामिल था. इन जिलों में गैर संक्रामक रोगों के मरीजों को अब आयुर्वेदिक दवा, योग और प्राकृतिक चिकित्सा का विकल्प उपलब्ध करवाया जा रहा है.
इसके अलावा वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की ओर से आयुर्वेदिक फार्मूले के आधार पर मधुमेह के इलाज के लिए विकसित की गई नई दवा बीजीआर- 34 भी काफी अहम भूमिका निभा रही है. सीएसआईआर के अनुसार यह वैज्ञानिक तरीके से विकसित की गई दवा है जिसका कई स्तर पर परीक्षण किया जा चुका है और इसे मधुमेह के नियंत्रण में काफी उपयोगी पाया गया है.
राज्य सभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने कहा था कि सीएसआईआर की दो प्रयोगशालाओं ‘सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एंड एरोमैटिक प्लांट्स’ (सीआईएमएपी) और ‘नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट’ (एनबीआरआई) ने मिलकर इसे विकसित किया है.
सीएसआईआर की विकसित इस दवा को दिल्ली की एमिल फार्मेसी नाम की कंपनी ने बाजार में उतारा है. एमिल के संचित शर्मा कहते हैं कि बीजीआर-34 में प्राकृतिक डीपीपी-4 होता है जिसका कोई साइड इफेक्ट या दुष्प्रभाव नहीं है. डीपीपी-4 आधारित इस दवा का उपयोग टाइप-2 डायबिटीज के वयस्क मरीजों में रक्त में शर्करा की मात्रा को कम करने के लिए किया जाता है.
वहीं आयुष मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार जीवन शैली पर आधारित बीमारियों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए मंत्रालय ने देश भर में 12,500 स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों की पहचान की है जहां आयुष सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी.