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इस मुद्दे को सुलझाने के लिए मोदी सरकार और केजरीवाल आए साथ

शनिवार को राजधानी दिल्ली में उन चंद मौकों में से एक मौका सामने होगा जब प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार एक साथ एक मंच पर दिखाई देंगे.

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सीएम केजरीवाल और पीएम मोदी (फाइल फोटो)
सीएम केजरीवाल और पीएम मोदी (फाइल फोटो)

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शायद ही ऐसा कोई मौका रहा होगा जब अलग-अलग मुद्दों पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र की बीजेपी सरकार के बीच टकराव की स्थिति ना हुई हो. लेकिन बेहद कम मौके पर ऐसा हुआ जब किसी मुद्दे पर दोनों सरकारें एक साथ एक मंच पर खड़ी दिखाई दें.

शनिवार को राजधानी दिल्ली में उन चंद मौकों में से एक मौका सामने होगा जब प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार एक साथ एक मंच पर दिखाई देंगे.

शनिवार को राजधानी दिल्ली में हवा के बिगड़ते स्तर से निपटने के लिए क्लीन ए़यर फॉर दिल्ली कैंपेन शुरू किया जा रहा है. 15 दिन के लिए व्यापक स्तर पर चलाए जाने वाले इस कैंपेन में दिल्ली की सरकार और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय साझा तौर पर हिस्सा लेंगे.

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इस कैंपेन के जरिए राजधानी के लोगों को हवा के बिगड़ते स्तर से लड़ने के लिए जागरुक किया जाएगा. साथ ही तमाम हिदायतें भी जारी की जाएंगी जिससे हवा का स्तर दूषित होने से बचाने के लिए आम नागरिक को भी भागीदार बनाया जा सके.

इस साझा चैंपियन के लिए 6 फरवरी को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के बीच मुलाकात हुई थी और इस साझा कैंपेन की रूपरेखा तय की गई थी.

दिल्ली के 33 सब डिवीजन में अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं. इसमें डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, तहसीलदार और नगर निगम के अधिकारी दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के साथ पर्यावरण मार्शल और दूसरे विभाग के अधिकारियों को शामिल किया गया है. ये दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में प्रदूषण पर न सिर्फ नजर रखेंगे बल्कि उन तमाम कारणों का पता लगाकर उनसे निपटने की कोशिश करेंगे जो राजधानी की हवा को जहरीला बना रही हैं.

यह तीनों राजधानी के अलग-अलग इलाकों में कूड़ा जलाने से लेकर खेतों में पराली जलाने, गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण, ट्रैफिक जाम के चलते निकलने वाली जहरीली हवा से लेकर अलग-अलग इलाकों में ट्रैफिक कम करने को लेकर भी सुझाव देंगे.

इतना ही नहीं, इन टीमों को जिम्मेदारी दी गई है कि वह सड़कों पर होने वाले अवैध अतिक्रमण और टूटी-फूटी सड़कों से उठने वाले धूल और साथ ही औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषित हवा, निर्माणाधीन इलाकों में उठने वाले वायु प्रदूषण और जनरेटर के इस्तेमाल संबंधी जानकारियां भी सरकार के साथ साझा करेंगे. हवा की बिगड़ती स्थिति सुधारने के लिए सुझाव भी देंगे.

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15 दिनों तक दिल्ली और केंद्र सरकार द्वारा साझा तौर पर चलाए जाने वाले इस कार्यक्रम का मकसद है कि नागरिकों के बीच पर्यावरण को लेकर जागरूकता फैलाई जाए और लोगों में यह संदेश भेजा जाए कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने और हवा को प्रदूषित करने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

इसके पहले दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति को लेकर दूसरे राज्यों और दिल्ली सरकार के बीच काफी कड़वे संवाद देखने को मिले हैं. वहीं, केंद्र सरकार ने भी राजधानी समेत एनसीआर की बिगड़ती हवा को सांस लेने लायक बनाने के लिए कोई कड़े कदम नहीं उठाए. प्रदूषण से निपटने के लिए यह पहला मौका होगा जब दिल्ली सरकार के साथ केंद्र की सरकार खड़ी होगी.

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