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प्यार का इजहार, मर्डर फिर 2 साल बाद खुलासा... कौन था मोना के कातिल राणा का मददगार

Mona Murder Case: साल 2014 में मोना को दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी मिली. उसकी ड्यूटी पीसीआर यूनिट में लगाई गई. यहां सुरेंद्र राणा पहले से तैनात था. साथ काम करने के दौरान सुरेंद्र उसके संपर्क में आया. धीरे-धीरे वो उसे पसंद करने लगा. हालांकि, मोना इस बात से अनजान थी.

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मोना मर्डर केस.
मोना मर्डर केस.

साल 2021, सितंबर महीने के आठवें दिन देश की राजधानी दिल्ली में हत्या की खौफनाक वारदात हुई. कातिल ने इस राज को दो साल तक अपने शैतानी दिमाग में छिपाए रखा. उसने उस लड़की का कत्ल किया जो उसे डैडा कहती थी और वो बेटा बुलाता था. हत्या करने के बाद वो दो साल तक लड़की के परिवार के संपर्क में रहा. वो हर पल मदद के भरोसे अपनी साजिश से परिवार के साथ खेलता रहा. अब जब इस हत्याकांड का खुलासा हुआ है तो लोग सन्न हैं.

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साल 2014 में मोना को दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी मिली. उसकी ड्यूटी पीसीआर यूनिट में लगाई गई. यहां सुरेंद्र राणा पहले से तैनात था. साथ काम करने के दौरान सुरेंद्र उसके संपर्क में आया. धीरे-धीरे वो उसे पसंद करने लगा. हालांकि, मोना इस बात से अनजान थी. वो सुरेंद्र को डैडा यानि पिता कहती थी और सुरेंद्र उसे बेटा. मोना उसके इरादों से बेखबर. इसकी वजह थी कि उसने कुछ सपने संजो रखे थे. वो IAS-IPS अफसर बनना चाहती थी.

सुरेंद्र ने प्यार का इजहार कर दिया

इसी सपने को साकार करने के लिए उसने दिल्ली पुलिस की नौकरी छोड़ी दी और मुखर्जी नगर में यूपीएससी की तैयारी करने लगी. इसी बीच सुरेंद्र ने प्यार का इजहार कर दिया. मगर, उसने ये कहते हुए मना कर दिया कि अभी अपना सपना पूरा करना है.

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मोना ने इस बात का विरोध किया

इनकार के बाद दोनों के बीच दूरी बढ़ी. उधर, सुरेंद्र उस पर बुरी नजर रखने लगा. जब मोना को इस बात का पता चला तो उसने विरोध किया. अब आई वो तारीख जिसकी मोना ने कभी कल्पना भी नहीं की थी. वो तारीख थी 8 सितंबर साल 2021. 

मोना को ऑटो से लेकर गया राणा 

अपने नापाक मंसूबों के साथ 8 सितंबर को राणा मोना को ऑटो से लेकर अलीपुर अपने घर की तरफ चला. सूनसान जगह उसने ऑटो रुकवाकर मोना का कत्ल कर दिया. इसके बाद लाश को नाले में पत्थर बांधकर दफन कर दिया. ये सब करने से पहले उसने मोना का सिम और एटीएम कार्ड अपने पास रख लिया.

सिम और एटीएम कार्ड अपने पास रखा

पुलिस में नौकरी करने वाले सुरेंद्र ने जुर्म की तमाम बारीकियां सीखकर इस हत्याकांड को अंजाम दिया. उसने अपना बचाव करने के लिए हर चाल और तौर-तरीके का बखूबी ध्यान रखा. अपराध पर पर्दा डलाने के लिए ही उसने सिम और एटीएम कार्ड अपने पास रखा था.

कहानी में नए किरदार की एंट्री

इसी के जरिए वो दो साल तक पुलिस और मोना के परिवार की आंखों में धूल झोंकता रहा. वो मोना के परिवार को ये कहकर झांसा देता रहा कि मोना कहीं गायब हो गई है. उसने एक ऑडियो क्लिप भी तैयार की. इसमें उसने मोना के पुराने ऑडियो का इस्तेमाल किया, जिसे एडिट करके परिवार वालों को सुनाया. 

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अपने साले को एक ऑडियो दिया

कई बार उसके घरवालों के साथ वो पुलिस थाने भी गया. थाने में पुलिस वालों को ठीक से नहीं तलाश करने की बात कहते हुए फटकार भी लगाई. इस कहानी में वो एक नए किरदार की एंट्री करवाता है. वो अपने साले रॉबिन का साथ लेता है, जो अरविंद बनकर मोना के घरवालों को फोन करता था. उसने अपने साले को एक ऑडियो दिया. जब रॉबिन उसके घरवालों को कॉल करता तो ऑडियो चला देता. 

'मुझे तलाश मत करो, मैं सही सलामत हूं'

इसमें मोना बोलती थी- 'मुझे तलाश मत करो, मैं सही सलामत हूं, मम्मी बेवजह परेशान होती हैं.' सुरेंद्र ने बिसात कुछ इस तरह बिछाई थी कि दिल्ली पुलिस भी उसका पैंतरा भांप नहीं पाई. पुलिस उस लड़की की तलाश करती रही जो कब की मारी जा चुकी थी. हैरानी की बात तो ये थी कि कातिल खुद पुलिस की वर्दी में मौजूद था.

mona murder case

जब जांच क्राइम ब्रांच के हाथ आई और क्राइम ब्रांच ने फोन कॉल पर ध्यान दिया तो राणा रडार पर आ गया. दो साल की आंख मिचौली के बाद वो पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया. अब पुलिस मोना की लाश तलाशने में जुटी है.

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