मुस्लिम संगठनों ने नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के औरंगजेब रोड का नाम बदलकर पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखने के फैसले का विरोध किया है. संगठनों ने सोमवार को कहा कि इससे इतिहास के साथ छेड़छाड़ करके शहरों-सड़कों के नाम बदलने का चलन चल सकता है.
वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा, 'यह एक सोचा-समझा प्रयास है. यह यहीं नहीं रुकने वाला है. अब्दुल कलाम जी के नाम से सड़क का नाम बदलने के तत्काल बाद शिवसेना ने कहा कि वह महाराष्ट्र में औरंगाबाद जिले का नाम बदलेगी जहां मुगल शासक की कब्र है.'
दिल्ली आधारित शाह वलीउल्ला संस्थान के प्रमुख अताउर रहमान कासमी ने कहा कि कलाम अगर जीवित होते तो इस कदम को वह खुद पसंद नहीं करते. जबकि सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा, 'उनके पास शहरों-सड़कों की लंबी सूची है जो ऐतिहासिक हस्तियों या मुस्लिम शासकों के नाम पर हैं. वे इनको बदलना चाहते हैं. मुगल शासक औरंगबजेब हिंदू विरोधी नहीं थे, बल्कि वह एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे.'
उन्होंने कहा कि ओडिशा के पूर्व राज्यपाल विशंभर नाथ पांडे के पास औरंगजेब के फरमान का संग्रह है जो इस बात को दिखाता है कि इस शासक ने मंदिरों के निर्माण के लिए जमीन दान की.
-इनपुट भाषा से