प्याज को लेकर जितना संवेदनशील आम आदमी है, हिंदुस्तान की राजनीति उससे भी ज्यादा. फिर दिल्ली में तो प्याज-पॉलिटिक्स की इतनी परतें सामने आ चुकी हैं और इतनी गंध फैल चुकी है कि इसके आगे लाल प्याज भी शर्मिंदा हो जाए.
केंद्र सरकार से जुड़ी संस्था नैफेड कहता है कि दिल्ली सरकार सस्ती प्याज खरीदना ही नहीं चाहती तो दिल्ली सरकार बचाव की मुद्रा में नैफेड पर भ्रम फैलाने का आरोप लगा रही है हांलाकि नैफेड के पास अपनी बात कहने के लिए जहां सबूत को तौर पर चिट्ठियां हैं तो वहीं दिल्ली सरकार के पास बयानों के सिवा कुछ नहीं, जो सरकार के हर दिन बदलते बयानों का विरोधाभास साबित करते हैं.
दिल्ली सरकार के मंत्री ने किया था दावा
दो दिन पहले ही दिल्ली सरकार के खाद्य और आपूर्ति मंत्री असीम खान ने आजतक के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में ताल ठोंक कर कहा कि दिल्ली सरकार नैफेड से प्याज लेने को तैयार है, चाहे वो 19 रुपए किलो दें, 20 रुपए किलो दें या 25 रुपए किलो दें. क्योंकि सरकार का मकसद है दिल्ली को सस्ती प्याज मुहैया कराना लेकिन शुक्रवार सुबह दिल्ली सरकार ने नैफेड को एक चिट्ठी भेजी जिसमें लिखा कि दिल्ली सरकार नैफेड से प्याज खरीदने की इच्छा रखती है लेकिन उसकी दो शर्तें हैं.
दिल्ली सरकार की दो शर्तें
पहली शर्त ये कि प्याज की कीमत 19 रुपए ही होनी चाहिए उससे ज्यादा नहीं और इस 19 रुपए में भंडारण नुकसान जिसे स्टोरेज लॉस कहते हैं और परिवहन यानी ट्रांसपोर्टेशन का खर्च भी शामिल है और दूसरी ये कि प्याज की डिलिवरी भी सरकार को दिल्ली के आनंद विहार में चाहिए, न कि वो नासिक से प्याज लेगी.
ये है नैफेड की सफाई और प्रस्ताव
अब इस पर नैफेड का बयान ये है कि दिल्ली सरकार साफ तौर पर मामले को खींचने का काम कर रही है. नैफेड के डायरेक्टर अशोक ठाकुर ने बताया- 'केंद्र ने पीएसएफ यानी प्राइस स्टेबिलाइजेशन फंड के तहत दिल्ली के कोटे में 2500 मीट्रिक टन प्याज अलग रखवाई है. हम अप्रैल से दिल्ली सरकार को चिट्ठी लिखकर कह रहे हैं कि किसानों से जिस मूल्य पर प्याज ली गयी है, उसी मूल्य पर दिल्ली सरकार प्याज खरीद ले , प्याज नासिक से मिलेगी क्योंकि नैफेड भंडारण वहीं करती है. साथ ही दिल्ली सरकार अपना एक अफसर भी नासिक भेजे जो तमाम औपचारिकताएं पूरी करे.'
AAP प्रवक्ता आशुतोष ने लगाया आरोप
अपनी सरकार के बचाव में उतरी आम आदमी पार्टी और भी बचकाना तर्क दे रही है. पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष आरोप लगाते हैं कि नैफेड दिल्ली को गुमराह कर रही है. न तो वो ये मानने को तैयार हैं कि नैफेड में अप्रैल से लेकर जून तक दिल्ली सरकार को चिट्ठियां लिखीं और न ये मानने को तैयार हैं नैफेड दिल्ली सरकार को सस्ती प्याज देने को तैयार थी.
मजे की बात ये है कि दिल्ली सरकार या फिर आम आदमी पार्टी नेताओं के पास बचाव में सिर्फ आरोप हैं, कोई सबूत नहीं. नैफेड के डायरेक्टर अशोक ठाकुर की मानें तो पूरा मामला सस्ती प्याज खरीदने या बेचने का है ही नहीं. मामला उस 2500 मीट्रिक टन के प्याज के स्टॉक को उठाने का है जो केंद्र सरकार ने दिल्ली के नाम पर सुरक्षित रखा है. नैफेड की भूमिका महज मध्यस्थ की है.