हिंदी जगत के मशहूर साहित्यकार और आलोचना की विधा के शिखर पुरुष नामवर सिंह नहीं रहे. मंगलवार देर रात दिल्ली के AIIMS में उन्होंने आखिरी सांस ली. नामवर सिंह पिछले एक महीने से एम्स ट्रामा सेंटर में भर्ती थे. ब्रेन हैमरेज की वजह से उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था. 92 साल के नामवर सिंह को डॉक्टर लंबे समय से ठीक करने की कोशिश कर रहे थे.
इससे पहले जनवरी में भी तबीयत होने की वजह से उन्हें आईसीयू में भर्ती करवाया गया था, कुछ दिन के इलाज के बाद उनकी सेहत ठीक हो गई थी इसके बाद उन्हें आईसीयू से हटा लिया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक नामवर सिंह एक महीने पहले अपने कमरे में बेड से गिर गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया. हालांकि उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई.
उनके पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक आज उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के लोधी घाट पर किया जाएगा. उनके बेटे विजय कुमार सिंह ने बताया की एक महीने पहले वो बेड से गिर गए थे. उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ था, लेकिन वो खतरे से बाहर हो गए थे और उनकी हालत में सुधार भी हो रहा था. नामवर सिंह के परिवार के अनुसार दिल्ली के लोधी रोड स्थित शमशान घाट में बुधवार को दोपहर बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
डॉ नामवर सिंह के निधन से साहित्य जगत में गहरा शोक है. साहित्य और पत्रकारिता जगत के दिग्गजों ने उनके निधन पर शोक जताया है.वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि वे एक नायाब आलोचक और साहित्य में दूसरी परंपरा के अन्वेषी थे. उन्होंने ट्वी किया, "हिंदी में फिर सन्नाटे की ख़बर. नायाब आलोचक, साहित्य में दूसरी परम्परा के अन्वेषी, डॉ नामवर सिंह नहीं रहे. मंगलवार को आधी रात होते-न-होते उन्होंने आख़िरी सांस ली. कुछ समय से एम्स में भर्ती थे. 26 जुलाई को वे 93 के हो जाते. उन्होंने अच्छा जीवन जिया, बड़ा जीवन पाया, नतशीश नमन."
हिंदी में फिर सन्नाटे की ख़बर। नायाब आलोचक, साहित्य में दूसरी परम्परा के अन्वेषी, डॉ नामवर सिंह नहीं रहे। मंगलवार को आधी रात होते-न-होते उन्होंने आख़िरी साँस ली। कुछ समय से एम्स में भरती थे। 26 जुलाई को वे 93 के हो जाते। उन्होंने अच्छा जीवन जिया, बड़ा जीवन पाया। नतशीश नमन। pic.twitter.com/ddzgsvuhMj
— Om Thanvi (@omthanvi) February 19, 2019
बता दें कि आजाद भारत में साहित्य की दुनिया में नामवर सिंह का नाम सर्वाधिक चर्चित रहा. कहा जाता है कि उनकी ऐसी कोई किताब नहीं जिस पर वाद-विवाद और संवाद न हुआ हो. देश भर में घूम-घूमकर वे अपने व्याख्यानों, साक्षात्कारों से सांस्कृतिक हलचल उत्पन्न करते रहे. उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान से भी नवाजा गया है.
नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1927 को जीयनपुर (अब चंदौली) वाराणसी में हुआ था. उन्होंने अधिकतर आलोचना, साक्षात्कार इत्यादि विधाओं में सृजन किया. उन्होंने आलोचना और साक्षात्कार विधा को नई ऊंचाई दी. नामवर सिंह ने साहित्य में काशी विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की. इसके बाद वे विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भी रहे. उनकी छायावाद, नामवर सिंह और समीक्षा, आलोचना और विचारधारा जैसी किताबें चर्चित हैं.
मुख्य रचनाएं
उनकी मुख्य रचनाओं में बकलम खुद, हिंदी के विकास में अपभ्रंश का योग, आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां, छायावाद, पृथ्वीराज रासो की भाषा, इतिहास और आलोचना, कहानी नई कहानी, कविता के नये प्रतिमान, दूसरी परंपरा की खोज, वाद विवाद संवाद जैसी आलोचना और कहना न होगा जैसे साक्षात्कार जैसी रचनाएं प्रमुख हैं.