राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है और इससे निपटने के लिए तब काम शुरू होता है, जब यह शीर्ष स्तर पर पहुंच जाता है. अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वो दिल्ली सरकार द्वारा तैयार किए गए एक्शन प्लान को लागू करने के मामले में 4 हफ्ते में फैसला ले.
माना जा रहा है कि इस एक्शन प्लान के लागू होने के बाद प्रदूषण से निपटने के साथ ही दिल्ली के पर्यावरण को भी बेहतर करने में मदद मिलेगी. इससे दिल्ली में प्रदूषण रोकने के लिए पूरे साल कोशिशें भी होने लगेंगी. आपको बता दें कि नवंबर से फरवरी तक 4 महीने दिल्ली में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा रहता है. इस दौरान दिल्ली गैस चैंबर में तब्दील होती नजर आती है.
ऐसे में अक्सर ये सवाल उठते हैं कि आखिर प्रदूषण से निपटने के लिए हर साल सरकारी तैयारियां क्यों अधूरी रहती हैं? सरकार दिल्ली के प्रदूषण को रोकने में नाकाम क्यों हो जाती है? केजरीवाल सरकार ने 2 जनवरी को दिल्ली में प्रदूषण को रोकने और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए क्लाइमेट चेंज से जुड़ा एक्शन प्लान पर्यावरण मंत्रालय को सौंपा था.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को इस एक्शन प्लान को हरी झंडी देनी है, जिसके लिए एनजीटी ने मंत्रालय को 4 हफ्ते का वक्त दिया है. पर्यावरण मंत्रालय का कहना है कि साल 2010 से अब तक दिल्ली सरकार को क्लाइमेट चेंज पर एक्शन प्लान रिपोर्ट देने के लिए तीन बार कहा गया था, लेकिन उसने तब नहीं दिया और अब दिया है.
दिल्ली सरकार की तरफ से मंत्रालय को सौंपे गए क्लाइमेट चेंज से जुड़े इस एक्शन प्लान में सिर्फ वायु प्रदूषण का ही नहीं, बल्कि जल प्रदूषण को रोकने और लगातार नीचे जा रहे दिल्ली के जल स्तर को बढ़ाने के उपाय भी शामिल हैं. इसके अलावा एक्शन प्लान में यह भी जिक्र है कि खेती के लिए पानी का इस्तेमाल किस तरह किया जाए, जिससे पानी प्रदूषित न हो.
अगर इस एक्शन प्लान को 4 हफ्ते में लागू कर दिया गया, तो इस बार नवंबर में शुरू होने वाली सर्दियों के दौरान प्रदूषण का स्तर भी कम रह सकता है और दिल्ली में आपातकालीन जैसे हालात पैदा होने से पहले इसको नियंत्रित करना सरकार और एजेंसियों के लिए आसान होगा. इससे पहले एनजीटी दिल्ली में गैरकानूनी तरीके से चल रही इंडस्ट्रीज को बंद करने के आदेश देने से लेकर केजरीवाल सरकार पर 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने जैसे कड़े फैसले लिए थे. इन कड़े फैसले के पीछे एनजीटी की मंशा यह है कि दिल्ली के प्रदूषण पर लगाम लगे और पर्यावरण बेहतर करने में सरकार कुछ कारगर कदम उठाए.