दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर दिल्ली सरकार द्वारा एक्शन प्लान ना बना पाने को लेकर एनजीटी नाराज है. इस बाबत एनजीटी ने दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी को तलब किया है और उन्हें 25 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा है.
एनजीटी में याचिका लगाई गई है कि पिछले कई सालों की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि जब-जब दिल्ली में प्रदूषण बढ़ेगा, एक्शन प्लान पर काम किया जाएगा. लेकिन दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के बाद भी दिल्ली सरकार हरकत में नहीं आई है. जिसका नुकसान दिल्ली की आम जनता को भुगतना पड़ रहा है.
एनजीटी ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति लगातार बद से बदतर होती जा रही है और फिलहाल पूरी दिल्ली गंभीर प्रदूषण से जूझ रही है. दरअसल, दिल्ली में मौसम के बदलने के साथ ही प्रदूषण की स्थिति में भी बदलाव आता है और इसी के मद्देनजर जब प्रदूषण बढ़ता है तो क्लाइमेट चेंज को लेकर दिल्ली सरकार को अपना एक्शन प्लान लागू करना होता है. जिससे प्रदूषण को ना सिर्फ नियंत्रण में लाया जा सके बल्कि बढ़ने से भी रोका जा सके.
इस एक्शन प्लान के मद्देनजर दिल्ली सरकार को कंस्ट्रक्शन से जुड़े काम पर रोक लगाना होता है, जगह-जगह पानी का छिड़काव कराना होता है, एडवाइजरी जारी करनी होती है, जिससे आम लोग मास्क का इस्तेमाल करें. अस्पतालों में भी खास व्यवस्था की जाती है, जिससे प्रदूषण के शिकार लोग जब अस्पताल पहुंचे तो उनके लिए खास इंतजाम हो. प्रदूषण के ज्यादा बढ़ने पर स्कूलों की छुट्टी भी की जाती है जिससे बच्चे इसके कम से कम शिकार हों.
सुनवाई के दौरान एनजीटी इसी बात को लेकर दिल्ली सरकार से नाराज दिखा कि अभी तक सरकार प्रदूषण से निपटने के लिए कवर करने को तैयार नहीं दिख रही है. इसीलिए एनजीटी ने इस मामले में 25 अक्टूबर को दोबारा सुनवाई की तारीख तय की है और साथ ही आदेश दिया है कि पर्यावरण मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी कोर्ट में हाजिर होकर यह बताएं कि प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली एनसीआर में उनकी तरफ से अब तक क्या प्रयास शुरू किए गए हैं.
दिल्ली में हर साल सर्दियों की शुरुआत से पहले ही प्रदूषण की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है. एनजीटी चाहता है कि इस साल वही स्थिति ना दोहराई जाए और सरकार इसके लिए पहले से तैयार रहे.