दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) सख्त है. एनजीटी ने दिल्ली के मुख्य सचिव को तलब किया है. ट्रिब्यूनल ने डीपीसीसी के चेयरमैन और सीबीसीपी के मेंबर सेक्रेटरी समेत पर्यावरण मंत्रालय के सेक्रेटरी को भी मंगलवार को 10:30 बजे पेश होने का आदेश दिया है.
एनजीटी ने मीडिया रिपोर्ट्स को देखते हुए इस मामले में स्वत संज्ञान लिया है. एनजीटी ने कहा है कि वह लगातार खबरों में देख रहे हैं कि दिल्ली में प्रदूषण पिछले 3 साल में अपने सर्वोच्च स्तर पर है. एनजीटी ने आगे कहा कि लोगों को स्वच्छ हवा देना सरकार का दायित्व और लोगों का अधिकार है. इससे उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता.
प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी लगातार कई दिशा निर्देश और आदेश सरकारी एजेंसी को दे चुके हैं. लेकिन दिल्ली में उसके बावजूद बड़े इतने प्रदूषण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. लिहाजा हम इस मामले में दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी समेत डीपीसीसी और सीपीसीबी समेत पर्यावरण मंत्रालय को 5 नवंबर को पेश होने के निर्देश देते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती
वहीं, राजधानी में फैले प्रदूषण के मसले पर देश की सर्वोच्च अदालत ने भी सख्ती दिखाई है. सोमवार को दिल्ली में फैले प्रदूषण पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर साल दिल्ली चोक हो जाती है और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में आज से ही लागू हुए ऑड-ईवन पर सवाल खड़े कर दिए हैं और दिल्ली सरकार से पूछा है कि आखिर इसका फायदा क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान राज्य सरकारों को फटकार लगाई है और पराली जलाने पर एक्शन लेने की बात कही है. सुप्रीम कोर्ट सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकारों को चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी है, लेकिन यहां पर लोग मर रहे हैं. किसी भी सभ्य देश में ऐसा नहीं होता है.