प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी से पूछताछ को लेकर चल रहे विरोध और राजनीति के बीच नेशनल हेराल्ड मामला सुर्खियों में बना हुआ है. इससे जुड़े अलग-अलग दावों के बीच अखबार से संबंधित अचल संपत्ति के बारे में कई सवाल उलझे हुए हैं.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पार्टी के हालिया विरोध को गांधी परिवार के दो हजार करोड़ रुपए बचाने के प्रयास के रूप में बताया है. जाहिर तौर पर यह विवाद यंग इंडियन (YI) की ओर से उधार लिए गए एक करोड़ रुपए के ऋण तक सीमित नहीं है, बल्कि नेशनल हेराल्ड की प्रकाशन कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) से संबंधित संपत्तियों के स्वामित्व और मूल्यांकन तक फैला हुआ है.
AJL और YI में क्या है रिश्ता?
एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की स्थापना 20 नवंबर 1937 को स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान तत्कालीन कांग्रेस नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा की गई थी. इसका उद्देश्य तीन समाचार पत्रों को प्रकाशित करना था जिनमें नेशनल हेराल्ड (अंग्रेजी), नवजीवन (हिंदी) और कौमी आवाज (उर्दू) शामिल हैं.
कंपनी ने स्वतंत्रता के बाद और कई राज्यों में सस्ती दरों पर भूमि प्राप्त करने के बावजूद अपना प्रकाशन व्यवसाय जारी रखा. कांग्रेस पार्टी ने अपने ऐतिहासिक संबंधों के कारण AJL को ऋण के साथ मदद करना जारी रखा. 2 अप्रैल 2008 को AJL ने समाचार पत्रों के प्रकाशन को सस्पेंड कर दिया. 2010 के अंत तक AJL पर कांग्रेस पार्टी का 90.21 करोड़ रुपए का ऋण बकाया था.
23 नवंबर 2010 को यंग इंडियन नाम की एक नई कंपनी को दो निदेशकों सुमन दुबे और सत्यन गंगाराम पित्रोदा (सैम पित्रोदा) की ओर से रजिस्टर्ड किया गया था. इसे कंपनी अधिनियम की धारा 25 के तहत एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में शामिल किया गया था. अगले महीने 13 दिसंबर 2010 को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को कंपनी का डायरेक्टर बनाया गया. कुछ दिनों बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने AJL के सभी ऋणों को यंग इंडियन को ट्रांसफर करने पर सहमति व्यक्त की.
जनवरी 2011 में सोनिया गांधी ने यंग इंडियन के डायरेक्टर का पदभार ग्रहण किया. इस समय तक सोनिया और राहुल गांधी ने यंग इंडिया के 36 प्रतिशत शेयरों पर नियंत्रण कर लिया था. अगले महीने यंग इंडियन ने कोलकाता स्थित आरपीजी समूह के स्वामित्व वाली कंपनी डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड से 1 करोड़ रुपए का ऋण लिया. अगले कुछ दिनों में AJL के पूरे शेयर होल्डर YI को 90 करोड़ AJL ऋण के एवज में ट्रांसफर कर दी गई. 1 मार्च 2011 को YI ने कांग्रेस पार्टी को ऋण असाइनमेंट के लिए 50 लाख रुपये का भुगतान किया.
कांग्रेस ने आरोपों का किया खंडन
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "एजेएल ने वही किया जो भारत की हर कंपनी करती है, जिसे कॉर्पोरेट गतिविधियों की मूल बातें कहा जाता है, इसने अपने कर्ज को इक्विटी में बदल दिया, इसलिए 90 करोड़ का यह कर्ज एक नई कंपनी (यंग इंडिया) को सौंपा गया. यह कहते हुए कि एजेएल-वाईआई व्यवसाय में मनी लॉन्ड्रिंग की कोई गुंजाइश नहीं है, सिंघवी ने आगे कहा कि कंपनी के अधिनियम धारा 25 के एक विशेष प्रावधान के तहत यंग इंडिया एक नव निर्मित कंपनी थी, जिसमें दो बहुत ही महत्वपूर्ण शर्तें हैं. पहला कानून की परिभाषा के अनुसार लाभ के लिए कंपनी नहीं बनाई गई है और दूसरा शेयरधारकों और निदेशकों को कोई लाभांश नहीं दिया जा सकता है.
नेशनल हेराल्ड की अचल संपत्ति का सही मूल्य क्या है
इनकम टैक्स के आकलन के अनुसार, दिल्ली की संपत्ति का सबसे अधिक मूल्यांकन 2 अरब 01 करोड़ 83 लाख 92 हजार 400 रुपए था. मुंबई की संपत्ति का मूल्य 1 अरब 32 करोड़ 94 लाख 44 हजार 480 रुपए था. लखनऊ की संपत्ति का मूल्य 40 करोड़ 59 लाख 06 हजार 400 रुपए और पंचकुला की संपत्ति की कीमत 32 करोड़ 25 लाख 60 हजार रुपए था. पटना की भारी-भरकम संपत्ति की कीमत सबसे कम 5 करोड़ 77 लाख 52 हजार 700 रुपये रखी गई था. संपत्तियों का कुल मूल्य सिर्फ 413 करोड़ से अधिक का अनुमान लगाया गया था. निर्धारण का मूल्यांकन 26 फरवरी 2011 को दरों के आधार पर किया गया था.
आजतक के एक रियलिटी चेक में नई दिल्ली, लखनऊ, पंचकुला, पटना और मुंबई में AJL की संपत्तियों में विपरीत स्थिति पाई गई हैं. राष्ट्रीय राजधानी के केंद्र में हेराल्ड हाउस के रूप में जानी जाने वाली दिल्ली की संपत्ति 2018 से दिल्ली विकास प्राधिकरण से कानूनी पचड़े का सामना कर रही है. डीडीए के भूमि और विकास कार्यालय ने व्यावसायिक गतिविधियों के कारण बेदखली का आदेश दिया है. AJL ने बेदखली के आदेश के खिलाफ कई अपीलें दायर की हैं और शुरुआती चरणों में कानूनी लड़ाई हार गई है. हालांकि, आगे की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट से स्टे का आदेश प्राप्त करने में कामयाब रहा. बिल्डिंग के ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर को पासपोर्ट सर्विस सेंटर को किराए पर दे दिया गया है. ग्राउंड फ्लोर पर एक गिफ्ट की दुकान भी है.
पटना में AJL को आवंटित प्लॉट संख्या 352, 353 और 360 पर दर्जनों परिवारों की अनाधिकृत कालोनी है. स्थानीय लोगों ने आजतक को बताया कि वे दशकों से वहां रह रहे हैं और न तो कांग्रेस पार्टी और न ही AJL को संपत्ति पर किसी तरह का कब्जा है.
सेक्टर 6 में पंचकूला की संपत्ति में राजनीतिक हथकंडा अपनाया गया है. इस प्लॉट का आवंटन 1992 में रद्द कर दिया गया था लेकिन भूपिंदर सिंह हुड्डा के शासन के तहत AJL को फिर से आवंटित किया गया था. बाद में मनोहर लाल खट्टर के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक नई जांच शुरू की थी. मामला अब विचाराधीन है.
कैसरबाग में लखनऊ की संपत्ति पर कुछ व्यावसायिक दुकानें और एक धर्मार्थ अस्पताल है. मुंबई के बांद्रा पूर्व में AJL संपत्ति पर एक इमारत है जिसे आंशिक रूप से एक निजी कंपनी को किराए पर दिया गया है.
(आजतक ब्यूरो)
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