दिल्ली महिला आयोग ने एक कैंसर पीड़िता को एम्स और अपोलो अस्पताल में चल रहे उसके इलाज के मेडिकल ट्रीटमेंट से सम्बंधित डॉक्युमेंट और एजुकेशन सर्टिफिकेट दिलवाए.
इस महिला को उसके पति ने मारपीट करके घर से निकाल दिया और सारा सामान अपने पास रख लिया था. कैंसर पीड़िता के पास उसके इलाज से सम्बंधित अस्पताल के कागज़ नहीं थे, जिस वजह से उसे अपना इलाज कराने में भी दिक्कत हो रही थी.
जब यह कैंसर पीड़िता अपने इलाजे से जुड़े कागज़ और अपने एजुकेशन से सम्बंधित डॉक्युमेंट लेने अपने पति के घर गई तो उसने कुछ भी देने से इंकार कर दिया. पीड़ित महिला दिल्ली महिला आयोग पहुंची. दिल्ली महिला आयोग की सदस्य सारिका चौधरी ने इस केस को रजिस्टर किया और उसको उसके इलाज के मेडिकल डॉक्युमेंट और एजुकेशन के डॉक्युमेंट दिलवाए.
इस कैंसर पीड़िता ने बताया कि उसकी 2009 में शादी हुई थी. उसकी एक छह साल की बच्ची भी है जो स्कूल जाती है. 2015 में उसे कैंसर हो गया. तब से उसका कई अस्पतालों में इलाज चल रहा है. पिछले महीने 12 फरवरी को इस महिला के पति ने उसके साथ झगड़ा और मारपीट की और उसे घर से निकाल दिया. इसके पति ने दवाइयां, कैंसर के चल रहे इलाज से सम्बंधित अस्पतालों के डॉक्युमेंट, एजुकेशनल सर्टिफिकेट सब अपने पास रख लिया.
इसके बाद इस पीडिता ने आयोग में अपनी शिकायत दी. डीसीडब्ल्यू में केस रजिस्टर्ड करने के बाद आयोग की सदस्य ने मोबाइल हेल्पलाइन (एमएचएल) की काउंसलर को इनके पति के पास भेजा और इलाज से सम्बंधित अस्पतालों के डॉक्युमेंट, एजुकेशनल सर्टिफिकेट और बच्ची के स्कूल के सर्टिफिकेट, फीस की स्लिप सहित जरुरी सामान देने के लिए कहा. यह कैंसर पीड़िता पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में भी बैठने वाली है, लेकिन प्रवेश परीक्षा का एडमिट कार्ड भी इनके पति के पास ही था जो उसने देने से मना कर दिया था.
दिल्ली महिला आयोग की टीम के साथ जाने पर इस महिला के पति ने सारे डॉक्युमेंट उसे वापस कर दिए. इलाज से जुड़े अस्पताल के कागज न होने की वजह से कैंसर पीड़िता को काफी परेशान होना पड़ रहा था, लेकिन अब मेडिकल कागजात मिलने से इनको इलाज कराने में दिक्कत नहीं आएगी. वह इस बाद से भी बहुत खुश है की अब वो अपनी पीएचडी की प्रवेश परीक्षा भी दे सकेंगी. अब दिल्ली महिला आयोग इस महिला की उसके पति के खिलाफ केस करने में मदद कर रहा है.