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कनॉट प्लेस में कचरा फैलाया तो लगेगा भारी जुर्माना, प्लास्टिक वेस्ट को लेकर NDMC ने बनाए सख्त नियम

एनडीएमसी बोर्ड मीटिंग में इस नए नियम को मंजूरी दे दी गई है. मीटिंग में एनडीएमसी अध्यक्ष नरेश कुमार, उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय, मेंबर कुलजीत सिंह चहल और अन्य मेंबर उपस्थित रहे. यानी एनडीएमसी एरिया में अब बिना परमिशन भंडारा, लंगर या छबील लगाने पर आपको जुर्माना देना पड़ सकता है.

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कनॉट प्लेस में प्लास्टिक वेस्ट फैलाने पर एनडीएमसी ने भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान​ किया. (File Photo)
कनॉट प्लेस में प्लास्टिक वेस्ट फैलाने पर एनडीएमसी ने भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान​ किया. (File Photo)

दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस की साफ-सफाई और खूबसूरती का ध्यान रखने वाली न्यू दिल्ली म्युनिसिपल कारपोरेशन (NDMC) अब कचरा फैलाने वालों को लेकर सख्त है. अगर एनडीएमसी की बिना मंजूरी के इलाके में कोई कार्यक्रम आयोजित हेता है और उससे प्लास्टिक कचरा पैदा होता है तो, आयोजनकर्ता पर 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. प्लास्टिक उत्पादन करने वाली कंपनियों पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा. 

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एनडीएमसी बोर्ड मीटिंग में इस नए नियम को मंजूरी दे दी गई है. मीटिंग में एनडीएमसी अध्यक्ष नरेश कुमार, उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय, मेंबर कुलजीत सिंह चहल और अन्य मेंबर उपस्थित रहे. यानी एनडीएमसी एरिया में अब बिना परमिशन भंडारा, लंगर या छबील लगाने पर आपको जुर्माना देना पड़ सकता है.

NDMC ने बनाया नया प्लास्टिक वेस्ट रूल

एनडीएमसी उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय और मेंबर कुलजीत सिंह चहल के अनुसार बोर्ड मीटिंग में कई प्रस्ताव पेश किए गए, जिनमें प्लास्टिक वेस्ट रूल भी शामिल है. एमसीडी की तर्ज पर ही एनडीएमसी ने भी प्लास्टिक वेस्ट रूल बनाया है.
प्लास्टिक उत्पादन करने वाली कंपनियां अगर नियमों का उल्लंघन करती हैं, तो उन पर एनडीएमसी के नए रूल के मुताबिक 20 हजार रुपये तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है. बिना परमिशन कार्यक्रम आयोजित करने या एक जगह 20 से अधिक व्यक्तियों के कार्यक्रम बिना अनुमति के करने पर 10 हजार तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. 

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प्लास्टिक वेस्ट जलाने पर 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. प्लास्टिक कूड़ा फैलाने वालों पर 2 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. एनडीएमसी एरिया में जितनी भी सड़कें हैं, उनके रख-रखाव और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सीआरआरआई (सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टिट्यूट) से सुझाव लेने का भी प्रस्ताव है. इसमें सड़कों की मोटाई कितनी होनी चाहिए और कहां-कहां पर समस्या है, इसका सर्वे सीआरआरआई के एक्सपर्ट से कराया जाएगा. सर्वे के बाद सड़कों की गुणवत्ता में सुधार किया जाएगा. इसके अलावा दवाओं की खरीद-फरोख्त की प्रक्रिया के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है. 

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