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एम्स में ब्रेस्ट कैंसर जांच की नई आधुनिक तकनीक

एम्स में मेमोग्राफी में लांच की गई एक नई टोमोसिनथिसिस से ब्रेस्ट कैंसर का उस समय पता चल जाता है, जब वो शुरुआती स्टेज पर ही होता है.

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एम्स में मेमोग्राफी में लांच की गई एक नई टोमोसिनथिसिस से ब्रेस्ट कैंसर का उस समय पता चल जाता है, जब वो शुरुआती स्टेज पर ही होता है. अभी तक ब्रेस्ट कैसर की जांच के लिए जितने भी टेस्ट किए जाते हैं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर का उस समय पता चलता है जब वो बढ़कर सेंटीमीटर में पहुंच जाता है.

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डाक्टरों के मुताबिक ब्रेस्ट कैंसर को मिलीमीटर से सेंटीमीटर में पहुंचने के लिए 9 से 109 दिन का समय लगता है, लेकिन हमारे देश में लगभग 60 फीसदी महिलाएं इलाज के लिए उस समय पहुंचती है, जब उनका कैंसर थर्ड स्टेज पर पहुंच जाता है और उसके ठीक होने की संभावना बहुत कम हो जाती है. एम्स के रेडियोलाजी विभाग के हेड डी पी के जुलका के अनुसार इस नई जांच में ब्रेस्ट की परत दर परत जांच संभव हो जाती है, जिससे छोटी से छोटी गांठ का तुरंत पता चल जाता है.

विशेषज्ञ मानते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर का सीधी संबंध हमारी बिगडती जीवनशैली से है और यही कारण हैं दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरें में इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक हमारे देश में हर साल ब्रेस्ट कैंसर के लगभग 11 लाख नए मामले सामने आते हैं. ब्रेस्ट कैंसर के मामले में दिल्ली पहले नंबर पर हैं. यहां हर साल एक से डेंढ़ लाख कैंसर के नए मरीज बन जाते हैं. जहां इटली में ब्रेंस्ट कैंसर का उस समय पता चल जाता है जब वो 4 मिलीमीटर होता है वहीं भारत में 60 फीसदी मामलों में कैंसर 4 सेटीमीटर पहुंचने के बाद डायगनोस होता है.

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विशेषज्ञों के मुताबिक यदि ब्रेस्ट कैंसर का पहली स्टेज पर पता चल जाएं तो इसके पूरी तरह से ठीक होने की संभावना 95 फीसदी तक पहुंच जाती है. इसके लिए जरूरी है कि ब्रेस्ट या हाथों की बगल की किसी गांठ की उपेक्षा ना करें. ब्रेस्ट से किसी भी तरह के डिस्चार्ज होता है तो तुरंत डाक्टर की सलाह हैं. कई बार ब्रेस्ट से खून आता है, इसे कतई नजरअंदाज ना करें क्योंकि इन लक्षणों में कैंसर होने की संभावना 70 से 80 फीसदी होती है.

डॉ. जुल्का के अनुसार इस तकनीक का यंग लड़कियों पर इस्तेमाल नहीं करते, क्योंकि इसमें थोडा बहुत रेडिएशन का खतरा है. उनके अनुसार 35 साल से उपर की महिलाएं, जिनकी फैमिली में यानी मां-पिता मौसी को ब्रेस्ट कैंसर होने की हिस्ट्री है उन्हें ये टेस्ट जरूर करवाना चाहिए क्योंकि जितना जल्दी इसका पता चलेगा इलाज शुरू हो जाएगा. अभी तक एम्स में इस तकनीक से काफी महिलाओं को फायदा पहुंच चुका है. आपको बता दें ब्रेस्ट कैंसर से बचाव काफी हद तक अपने हाथ में है. जीवनशैली में सुधार, अनुशासित लाइफस्टाइल के साथ-साथ 30 साल के बाद हर दो साल में ब्रेस्ट कैंसर जांच जरूरी है.

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