देश की राजधानी दिल्ली में बंदरों और आवारा कुत्तों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इस पर हाइकोर्ट ने चिंता जताई है. बंदरों और कुत्तों की नसबंदी करने की दवा बनने में देरी होने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी भी जाहिर की है.
देश में कुत्तों और बंदरों की लगातार बढ़ती संख्या पर कोर्ट ने गंभीरता जताते हुए पूछा है कि दवा बनाने में देरी क्यों की जा रही है? इसकी बहुत जरूरत है इसलिए बिल्कुल भी देरी ना की जाए. दिल्ली हाईकोर्ट ने नेशनल इंस्टि्टयूट ऑफ इम्यूनोलॉजी से जानवरों में प्रेंग्नेंसी रोकने की दवा बनने पर स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है.
दिल्ली हाइकोर्ट उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें याचिकाकर्ता ने जनवरों में सर्जिकल नसबंदी का विरोध किया है. दिल्ली हाइकोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को करेगा. दिल्ली में आवारा कुत्तों और बंदरों की तादाद में पिछले कुछ सालों में बेहद तेजी से वृद्धि हुई है और कई बार इनके आतंक से आम लोग ही नहीं खुद एमसीडी भी परेशान हो चुकी है. हाइकोर्ट मे एमसीडी ये तक लिख के दे चुकी है कि वो बंदरों को रेसिडेंशियल इलाकों से हटाने में असमर्थ है.
आवारा कुत्तों ने कई इलाकों में आम लोगों को अपना शिकार बनाया है. राजधानी की ये ऐसी समस्या है कि अगर जानवरों में प्रेंग्नेंसी रोकने की दवा का इस्तेमाल होने लगे तो इनकी संख्या को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है.