नए मोटर व्हीकल एक्ट पर अमल में दिल्ली-एनसीआर के राज्य अब तक फिसड्डी साबित हुए है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने EPCA की सिफारिश के बाद आदेश दिया था कि पहले वाहनों की उम्र और दशा की पहचान की जाय फिर उनसे निपटने के उपाय तलाशे जाएं.
पुराने पड़ चुके वाहनों को लेकर अब तक राज्य ऐसे वाहनों की पहचान के लिए आमराय से कोई तरीका भी विकसित नहीं कर पाए हैं. इस मामले में अब 8 नवंबर को अगली सुनवाई होगी.
स्टिकर पर बहस
10-15 साल पुरानी डीजल-पेट्रोल से चलने वाली नई और पुरानी गाड़ियों की पर कैसा स्टिकर लगे, इस पर भी सुप्रीम कोर्ट में बहस जारी है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि अमल का तौर तरीका कैसा हो? स्टिकर की रंग योजना के बारे में कहा गया कि ब्लू (पेट्रोल/सीएनजी) ऑरेंज (डीजल) और ग्रीन (बैटरी/बिजली) के लिए होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग ईंधनों से चालित वाहनों के लिए अलग कलर स्टिकर लगाने की योजना पर अमल के लिए दिल्ली, हरियाणा और यूपी से हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया.
1 सितंबर से बदल गए नियम
इससे पहले पिछले महीने 1 सितंबर से मोटर व्हिकल एक्ट 2019 लागू हो गया. ट्रैफिक नियमों में बदलाव के बाद दिल्ली पुलिस इनके अनुपालन को सड़कों पर उतरी और नए नियमों का अनुपालन करते हुए बड़ी संख्या में चालान काटे.
नए कानून में ट्रैफिक रूल तोड़ने वालों के खिलाफ कड़े प्रावधान किए गए है. कई चालान तो एक लाख से ऊपर के काटे गए हैं. भारी हर्जाने को देखते हुए गुजरात ने इस नियम में बदलाव लाते हुए जुर्माने की राशि को कम कर दिया था. जबकि कई अन्य राज्य भी इसमें कमी लाने की कवायद में जुट गए. जबकि पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने अपने यहां इस नियम को लागू नहीं करने का ऐलान किया.