दिल्ली के कार्यकारी मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर एलजी नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच घमासान में नया मोड़ आ गया है. ताजा खुलासे के मुताबिक, केजरीवाल सरकार शकुंतला गैमलिन के नाम पर राजी थी और उसने इस बाबत एलजी को चिट्ठी भी लिखी थी.
आजतक के पास दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की वह चिट्ठी है, जिसमें उन्होंने गैमलिन के नाम पर सहमति दर्ज की है. चिट्ठी में साफ तौर पर लिखा है, 'हम श्रीमति गैमलिन और श्री परिमल राय में से किसी का चुनाव कर सकते हैं.'
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की 13 मई को उपराज्यपाल को भेजे गए प्रस्ताव की कॉपी आजतक को मिली है, जिसमें खुद सिसोदिया ने गैमलिन की नियुक्ति का विकल्प उपराज्यपाल को भेजा है. यानी गैमलिन के नाम पर नियुक्ति के पहले कोई विवाद केजरीवाल सरकार की ओर से नहीं था और ना ही कोई शिकायत थी, लेकिन जैसे ही गैमलिन की नियुक्ति को उपराज्यपाल ने हरी झंडी दिखाई, पूरी केजरीवाल सरकार उपराज्यपाल के पीछे पड़ गई.
चिट्ठी के मुताबिक, सिसोदिया ने कार्यवाहक मुख्य सचिव के लिए अफसर मिस नैनी से बात की लेकिन उन्होंने कार्यभार लेने से मना कर दिया. एसपी सिंह की नियुक्ति पर खुद ही सिसोदिया ने वीटो लगाया और कहा कि उन्हें नियुक्ति नहीं देने का कारण सब जानते हैं. अरविंद राय के बारे में लिखा कि वो पहले हटाए जा चुके हैं.
शकुंतला गैमलिन पर सिसोदिया ने कोई आरोप नहीं लगाया. साफ लिखा कि गैमलिन और परिमल राय में से चुनाव हो सकता है. यानी उपराज्यपाल को एक तरह से गैमलिन के नाम पर अनापत्ति खुद उपमुख्यमंत्री ने दे दी. हालांकि नोटिंग के आखिर में सिसोदिया ने साफ लिखा कि मैं परिमल राय के नाम का प्रस्ताव करता हूं.
इधर, दिनभर चढ़ा पारा
दिलचस्प है कि नियुक्त मामले में नया मोड़ एक बाबू के दफ्तर पर ताला, एक की तैनाती अवैध घोषित किए जाने के बाद आया है. सोमवार को दिन चढ़ते ही मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच टकराव का एक अलग ही मंजर सामने आया. 'आप' प्रशासन ने प्रधान सचिव (सेवा) अनिंदो मजूमदार के कमरे पर ताला जड़ दिया और उसके बाद वरिष्ठ नौकरशाह और केजरीवाल के चहेते राजेन्द्र कुमार को इस पद पर नियुक्त कर दिया गया.
एलजी को लिखी चिट्ठी पर बवाल
मजूमदार ही वह अधिकारी हैं, जिन्होंने शकुंतला गैमलिन को मुख्य सचिव के तौर पर नियुक्त किए जाने के आदेश को शुक्रवार को अधिसूचित किया था. कुमार की नियुक्ति पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जंग ने केजरीवाल को एक पत्र लिख मारा, जिसमें मजूमदार के स्थान पर उनकी नियुक्ति को अवैध ठहराया गया और साथ ही साफ तौर पर कहा गया कि वरिष्ठ नौकरशाहों के तबादले और नियुक्ति पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार उनके पास है.
...और बढ़ती गई तकरार
यह पत्र जैसे ही मीडिया में पहुंचा उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया, 'हैरानी है कि एक संवैधानिक अधिकरण मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र उन तक पहुंचने से पहले ही लीक कर रहा है. क्या भारत के संविधान में इसकी इजाजत है.' इससे पहले दिन में मजूमदार को दिल्ली सचिवालय में अपने कार्यालय पर ताला जड़ा मिला. सरकार में सूत्रों ने बताया कि कार्यालय पर ताला लगाने का आदेश मुख्यमंत्री के कार्यालय से आया है.
मजूमदार का केजरीवाल ने शनिवार को तबादला दूसरे विभाग में कर दिया था, क्योंकि उन्होंने जंग के निर्देश पर गैमलिन को नियुक्ति पत्र जारी किया था. उपराज्यपाल ने उसी शाम मजूमदार के तबादले को अवैध करार दिया और कहा कि इस फैसले पर उनकी मंजूरी नहीं है. केजरीवाल को भेजे अपने पत्र में जंग ने कहा कि उन्होंने कुमार की नियुक्ति को नामंजूर कर दिया है क्योंकि यह निर्धारित नियमों और प्रक्रियाओं के खिलाफ है.