वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एनजीटी ने बडा फैसला लिया है. दिल्ली में प्रदूषण और ट्रैफिक जाम को कम करने के लिए कोर्ट ने डेस्टिनेशन बसें चलाने का आदेश दिया है. एनजीटी ने डेस्टीनेशन बसों को दिल्ली में 1 मई से चलाने का आदेश दिल्ली सरकार को आदेश दिया है.
ये बसें डीटीसी चलाएगी और दिल्ली ट्रैफिक पुलिस को इसी महीने की 25 तारीख से इसके विज्ञापन के लिए सड़कों पर होर्डिंग लगाने का भी एनजीटी ने आदेश दिया है. एनजीटी ने ये आदेश राजधानी में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए सुनी जा रही याचिका पर किया है.
एनजीटी ने अपने आदेश में रोहिणी, द्वारका, बदरपुर बार्डर, जनकपुरी जैसे ज्यादा जनसंख्या वाले रिहाइशी इलाकों से कनाट प्लेस , नेहरु प्लेस, केन्द्रीय सचिवालय, सीजीओ कॉम्प्लेक्स जैसी उन जगहों तक बसें चलाने को कहा है, जहां पर बडी संख्या में दफ्तर हैं. एनजीटी का मानना है कि लोगों को घर से दफ्तर के लिए अगर एक ही बस आसानी और सुविधा से मिल पाएगी तो वो अपने दोपहिया और कार का इस्तेमाल नही करेंगे या कम से कम करेंगे.
एनजीटी ने कहा कि ये डेस्टिनेशन बसें बीच में कही नही रुकेंगी यानि पॉइंट टू पॉइंट चलेंगी. एनजीटी ने कहा कि बड़ी संख्या में डीटीसी की बसें डिपो में खड़ी दिखती हैं, लेकिन वो क्यों खड़ी दिखती हैं और उनका कोई इस्तेमाल क्यों नही हो पा रहा है, ये डीटीसी और सरकार दोनों हमें बताने में नाकामयाब रहे है.
कोर्ट ने कहा कि इस तरह की बसों को चलाने से प्रदूषण को कम करने के साथ साथ बड़ी संख्या में लोगो को फायदा पहुचाया जा सकता है. राजधानी के जिन इलाकों और सड़कों पर ट्रैफिक जाम की समस्या सबसे ज्यादा है वहां इन्हें चलाने की जरूरत सबसे पहले है.
एनजीटी के इस आदेश को 10 दिनों में लागू करना है, हालांकि दिल्ली सरकार और डीटीसी दोनों के लिए यह आसान नही होगा. एनजीटी ने डीटीसी को आदेश दिया है कि डेस्टिनेशन बसों को 1 मई से चलाने के लिए वो बसों की साफ-सफाई करा ले और साथ ही बस स्टाफ को भी इसके लिए ट्रेनिंग देकर तैयार कर ले, ऐसे में दिल्ली सरकार इस आदेश का पालन कैसे करेगी, ये देखना दिलचस्प होगा. हालाकि इसमें कोई शक नही है कि लोगों की समस्या को डेस्टिनेशन बसें कम कर सकती है.